मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज होता जा रहा है. प्रदेश की मुख्य राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं द्वारा एक दूसरे पर लगातार आरोप लगाएं जा रहे हैं. इसी कड़ी में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री के दौरे के नाम पर आदिवासियों का कल्याण करने की जगह टेंट तमाशो में 20 करोड रुपए खर्च करने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच कराने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने जिन अधिकारियों ने यह रुपए खर्च किए हैं उनसे वसूली करने की भी मांग की है. जहां कांग्रेस दिग्विजय सिंह की बात का समर्थन कर रही है तो वहीं बीजेपी पूछ रही है कि क्या दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के दौरान बिना टेंट कुर्सियों के आयोजन होते थे.
आदिवासी वर्ग को साधने में जुटी दोनों ही पार्टियां
मध्य प्रदेश विधान सभा में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं. वहीं 33 और ऐसी सीटें हैं जिन पर आदिवासी वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता है. यही वजह है कि चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा दोनों ही पार्टियों आदिवासी वर्ग को साधने में लगी हुई हैं. इसी कड़ी में दोनों ही पार्टियों द्वारा आदिवासियों के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं. जहां कांग्रेस की ओर से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह आदिवासियों को साधने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं तो वहीं भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला हुआ है.
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आदिवासी वर्ग के लोगों के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसको लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने उस कार्यक्रम पर होने वाले खर्च पर सवाल उठाते हुए उसमें भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाया है और राष्ट्रपति से जांच की मांग की है. कांग्रेस का कहना है कि पीएम और सीएम द्वारा विभिन्न वर्ग के लोगों के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं. जिनमें काफी खर्च हो रहा है लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हो रहा है.
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दोनों पार्टियों के बीच जारी है आरोप-प्रत्यारोप का दौर
कांग्रेस मीडिया विभाग उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता अवनीश बुंदेला ने दिग्विजय सिंह के पत्र को सही ठहराते हुए कहा कि दलितों के नाम पर बीजेपी बड़े-बड़ें इवेंट करा रही है. लेकिन उससे दलित वर्ग को एक रुपए का भी फायदा नहीं हो रहा है, बल्कि अगर मध्य प्रदेश में वर्तमान की स्थिति देखें तो जब से पीएम मोदी और सीएम शिवराज ने दलित आदिवासियों के नाम पर इवेंट किए हैं तब से उन पर अत्याचार बलात्कार और मारपीट की घटनाएं बढ़ी हैं. जिस तरह एक भाजपा के नेता ने आदिवासी के मुंह पर खड़े होकर पेशाब किया वह इसका जीता जागता उदाहरण है.
वहीं बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के पत्र पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए काम करवाए जा रहे हैं. उससे कांग्रेस के पेट में दर्द हो रहा है. कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं होने के कारण वह टेंट और कुर्सियों को मुद्दा बना रही है. भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के कार्यकाल के दौरान क्या कोई आयोजन बिना टेंट और कुर्सियों के होते थे. इसके साथ ही नरेन्द्र सलूजा ने बीजेपी सरकार द्वारा आदिवासियों के हित के लिए किए गए कामों को गिनाया और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला.
आदिवासी आरक्षित सीटों पर है कांग्रेस की नजर
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटें हासिल की थी. कांग्रेस अपनी उन सीटों को बरकरार रखना चाहती है. साथ ही उसमें बढ़ोतरी भी करना चाहती है. यही वजह है कि भाजपा द्वारा आदिवासियों के लिए कराए जा रहे कार्यक्रम पर वह लगातार निगाह बनाए हुए है. साथ ही मौका मिलने पर उन पर सवाल उठाने का मौका नहीं छोड़ रही है. हालांकि देखने वाली बात यह होगी कि इन आरोप से कांग्रेस का कितना भला होता है.
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