Ijtima 2025: भोपाल का आलमी तब्लीगी इज्तिमा दुनिया के सबसे बड़े इस्लामी सम्मेलनों में से एक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘इज्तिमा' शब्द का मतलब (Ijtima Meaning) क्या है और इसकी शुरुआत (Ijtima History) कैसे हुई? भोपाल में 1947 में मात्र 13 लोगों से शुरू हुए इस आयोजन में आज दुनिया भर के लाखों मुसलमान आते हैं. भोपाल में 14 नवंबर से शुरू होने वाले इज्तिमा के लिए जायरीन आना शुरू हो गए हैं, यह 17 नवंबर तक चलेगा.
Ijtima Meaning: ‘इज्तिमा' का अर्थ या मतलब क्या?
‘इज्तिमा' अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है – ‘इकट्ठा होना' या ‘सभा'. तब्लीगी इज्तिमा एक धार्मिक समागम होता है, जहां मुसलमान एक साथ इकट्ठा होकर अल्लाह की इबादत करते हैं, कुरान की शिक्षाओं को समझते हैं और इस्लाम के संदेश को फैलाने की बात करते हैं. यह आयोजन केवल धार्मिक उपदेशों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में अमन, भाईचारे और सादगी का संदेश देना होता है. इज्तिमा के आखिरी दिन लाखों लोग एक साथ मिलकर पूरी दुनिया में शांति और एकता की दुआ करते हैं.
Ijtima History: भोपाल में कैसे शुरू हुआ इज्तिमा ?
भारत में आलमी तब्लीगी इज्तिमा की शुरुआत साल 1947 में भोपाल के पुराने शहर की मस्जिद शकूर खां से हुई थी. उस समय इसमें सिर्फ 13 लोग शामिल हुए थे. इसकी नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी थी. बाद में, बढ़ती संख्या को देखते हुए 1971 में इसका आयोजन ताजुल मस्जिद परिसर में होने लगा. वहीं 2003 से इसे ईंटखेड़ी में स्थानांतरित किया गया, जहां अब यह करीब 300 एकड़ में फैले विशाल क्षेत्र में होता है. इस आयोजन की जिम्मेदारी तब्लीगी जमात संभालती है, जो इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संगठन है.
Ijtima Mela: क्या होता है इज्तिमा में?
इज्तिमा के दौरान देश-विदेश से आए इस्लामी विद्वान (उलेमा) कुरान और हदीस की शिक्षाओं पर प्रवचन देते हैं. इनमें नमाज़, रोज़ा, जकात, पड़ोसी और रिश्तेदारों के अधिकार, सूदखोरी जैसे विषयों पर चर्चा होती है. साथ ही यहां यह सिखाया जाता है कि एक मुसलमान को अपने जीवन में सादगी, ईमानदारी और इंसानियत को कैसे अपनाना चाहिए. इज्तिमा के दौरान सादगीपूर्ण सामूहिक निकाह भी कराए जाते हैं, जिनमें दहेज नहीं लिया जाता. इस्लाम में खर्चीली शादियों के विरोध और समाज में जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा दी जाती है.
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