Bhopal Brugs raid: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में निजी फैक्ट्री पर छापे के बाद लगातार NCB और ATS अलग अलग जगहों पर कार्रवाई में जुटा हुआ है. इस मामले में रविवार को दो आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद देर शाम ड्रग्स सप्लाई का एक और आरोपी की मंदसौर से गिरफ़्तारी हुई है. तीसरे आरोपी हरीश आंजना की गिरफ़्तारी के साथ ही पिछले 48 घंटों से भी ज़्यादा समय से NCB और गुजरात ATS की कार्रवाई अब भी जारी है. इस बीच इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान मुख्य आरोपी हरीश ने कबूल किया कि एमडी ड्रग बनाने में इस्तेमाल होने वाला केमिकल गुजरात-महाराष्ट्र के रास्ते वही सप्लाई करता था.
NCB और गुजरात ATS को जांच में अब तक जो जानकारी हाथ लगी है, उसके मुताबिक ड्रग्स की खेप ब्रिटेन और दुबई भेजने की योजना का भी खुलासा है. इसके साथ ही यह भी पता चला है कि ये ड्रग्स माफिया लेन-देन के लिए क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल करते थे. NCB के मुताबिक सागर से गिरफ्तार हुआ हरीश आंजना इस पूरे मामले का मास्टर माइंड है. इस मास्टर माइंड की तस्वीर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के साथ सामने आने के बाद इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई. कांग्रेस नेता अरुण यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्वीट कर लिखा है, "भोपाल में 1800 करोड़ रुपये की एमडी ड्रग का सरगना निकला भाजपाई ! मोदी जी आप तो कांग्रेस पर झूठे आरोप लगा रहे थे, मगर मप्र में तो करोड़ों रुपये की एमडी ड्रग के मामले में भाजपा वाले ही पकड़ में आ रहे हैं."
बीजेपी ने किया किनारा
हालांकि, इस पूरे मामले से भाजपा ने किनारा कर लिया है. इस पूरे मामले पर वीडी शर्मा ने कहा है कि मैं बीजेपी अध्यक्ष होने के नाते कहना चाहता हूं, जिस व्यक्ति का फोटो आप वायरल कर रहे हैं, उसका बीजेपी से कोई नाता नहीं है. जगदीश देवड़ा जी गंभीर राजनेता हैं, मैं प्रदेश बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष हूं. मैं कहता हूं, उस व्यक्ति का बीजेपी से कोई संबंध नहीं है. इस प्रकार के लोग फोटो खिंचवाने में सफल हो जाते हैं. इसके साथ ही बीजेपी अपने नेताओं को नसीहत दी है कि नेताओं को भी एक फ्रेम में आने से पहले ध्यान रखना चाहिए.
मास्टर माइंट पर पहले से ही दर्ज है कई मामले
दरअसल, मंदसौर से गिरफ्तार हरीश आंजना को मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है. बताया जाता है कि हरीश पहले से ही हिस्ट्रीशीटर बदमाश है. उसके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत चार अपराधिक मामले पहले से दर्ज है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ड्रग्स की फैक्ट्री लगाने और ड्रग्स बनाने के लिए जो मैटेरियल आया था, उसमें पैसा हरीश का ही लगा हुआ था. भोपाल से करीब 700 किलोमीटर गुजरात के वापी से कच्चा माल मंगवा कर इसका इस्तेमाल ड्रग्स बनाने में इस्तेमाल किया जाता था. अब हरीश की उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के साथ आरोपी की तस्वीरें दिखाकर कांग्रेस भाजपा को भी इस मामले में कटघरे में खड़ा कर रही है.
ऐसे पकड़ में आई ड्रग्स की ये फैक्ट्री
आरोपी महीने भर से गुजरात एटीएस के रडार पर थे. कुछ दिन पहले एटीएस का शक यकीन में तब बदला, जब उसने देखा कि फैक्ट्री का वेंटिलेशन ग्राउंड लेवल से लगा हुआ है, अमूमन फैक्ट्रियों में धुएं की निकासी के लिए चिमनी या वेंटिलेशन छत पर होता है. हालांकि, इससे पहले बगरोदा इंडस्ट्रियल एरिया में संचालित हो रही है इस फैक्ट्री का पुलिस हो या आसपास काम करने वाले लोग किसी को भी भनक नहीं लगी. आरोपियों ने फैक्ट्री शुरू करने से पहले सामने की फैक्ट्री में संपर्क कर कीटनाशक दवा बनाने की मशीन बनाने की अर्जेंट डिमांड भी की थी, लेकिन मदद नहीं मिलने पर आरोपियों ने अन्य जगहों से ड्रग्स बनाने के उपकरण जुटाने शुरू किए. वहीं पुलिस का कहना है इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
आरोपी अमित के घर छाया सन्नाटा
इस मामले में भोपाल के रहने वाला एक और आरोपी अमित चतुर्वेदी के घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है. पुलिस एनडीटीवी के कैमरे के पहुंचने के बाद वहां पहुंची, तो घर में काम करने वालों ने बताया कि अमित का व्यवहार थोड़ा संदेहास्पद था. फिलहाल, आरोपी के घर बंद है. देखने से ऐसा लगता है कि यहां दो से तीन दिन पहले तक कोई था, लेकिन अब कोई नहीं है. पुलिस छानबीन कर रही है, पर पर ताला लगा हुआ है.
फैक्ट्री के अंदर अब भी जांच कर रही है एनसीबी की टीम
वहीं, प्लॉट नंबर एफ-63 जहां देश में ड्रग्स की सबसे बड़ी फैक्ट्री पकड़ी गई. वहां, 48 घंटे बाद भी नारकोटिक्स ब्यूरो के अधिकारी जमे हुए हैं. मामले में अब तक 3 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. बताया जाता है कि 6 महीने पहले ही फैक्ट्री किराये से ली गई थी, लेकिन इस मामले के खुलासे के बाद अब फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है. इन पर आरोप है कि फैक्ट्री को किराये पर देने की जानकारी मालिकों ने MPIDC और पुलिस को नहीं दी थी. जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाई जा रही थी. भोपाल पुलिस ने फैक्ट्री के मालिक एसके सिंह और जयदीप के खिलाफ दर्ज की FIR कर हिरासत में लिया गया है. वहीं, दूसरा अब भी फरार है.
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इनके खिलाफ धारा 223 BNS के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने इस मामले में भोपाल कमिश्नर के आदेश का उल्लंघन माना है, जिसके तहत नौकर, कारीगर, सहायक, निर्माण की मजदूरी में लगे व्यक्तियों की जानकारी देना शामिल था, लेकिन मालिकों ने इस संबंध में कोई सूचना पुलिस को नहीं दी. इस इंडस्ट्रियल प्लाट को साल 2017-18 में उद्योग विभाग ने अलॉट किया था, जो 2022 में बनकर तैयार हुआ. वहीं, फैक्ट्री के अंदर दो दिन से जांच टीम मौजूद है. यहां लगातार ये कार्रवाई जारी है,ये केमिकल की बॉटल्स अभी भी यहां बिखरी पड़ी हुई है, NCB के अफसर लगातार सर्चिंग कर रहे है, जप्ती की कार्रवाई अभी भी की जा रही है.
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