Madhya Pradesh: केंद्र से पास हुए 176 करोड़ रुपये, अब इन सुविधाओं से लैस होगा AIIMS Bhopal

Bhopal News: भोपाल एम्स को केंद्र सरकार से कुल 176 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी मिली है. इससे ओपीडी की सेवा को भी अधिक बेहतर किया जाएगा. साथ ही किडनी और हार्ट के मरीजों को 24/7 इलाज की सुविधा मिलेगी. 

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भोपाल एम्स में शुरू होगी सेंट्रल ओपीडी

Bhopal AIIMS: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के लोगों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. अब यहां के लोगों को इलाज के लिए दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) आने की शायद ही जरूरत पड़ेगी. भोपाल (Bhopal) में स्थित एम्स (AIIMS) को केंद्र सरकार (Central Government) से कुल 176 करोड़ रुपये के विकास कार्यों (Development Projects) की मंजूरी मिली है. केंद्र ने एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) को 96 करोड़ के एपेक्स पीडियाट्रिक सेंटर (Apex Pediatric Centre) और 80 करोड़ के सेंट्रल ओपीडी ब्लॉक (Central OPD Block) का बजट पास किया है. इसके बाद बच्चों से लेकर ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी. इसके साथ किडनी व हार्ट (Kidney and Heart Disease) के मरीजों को 24 घंटे इलाज मिलेगा. 

इन सुविधाओं से लैस होगी भोपाल एम्स

1. एपेक्स पीडियाट्रिक सेंटर - इस सेंटर में 16 साल तक के बच्चों के पंजियन से लेकर जांच और इलाज तक की व्यवस्था होगी. यहां कैंसर, किडनी, हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के साथ जटिल सर्जरी भी की जाएगी. एक स्थान पर सभी सुविधाएं होने से इलाज के दौरान बच्चों को यहां वहां भटकने की जरूरत नहीं होगी. साथ ही, बच्चे अन्य मरीजों की भीड़ से अलग रहेंगे. यब खुद में ऐसा प्रदेश का इकलौता सेंटर होगा.

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2. सेंट्रल ओपीडी ब्लॉक - एम्स भोपाल में ओपीडी के लिए अलग से विंग तैयार किया जाएगा. जहां सभी विभागों की ओपीडी एक साथ संचालित की जाएगी. जिससे मरीजों को एक स्थान पर ही पंजियन से लेकर अलग-अलग विभाग के डॉक्टर मिल सकेंगे. एम्स परिसर बड़ा होने पर वर्तमान में मरीजों को विभागों तक पहुंचने में खासी परेशानी होती है. सेंट्रल ओपीडी में एक ही बिल्डिंग में सारे डॉक्टरों की ओपीडी होगी. यही नहीं, इस विंग में मरीजों के लिए सैम्पल कलेक्शन सेंटर और दवा की दुकान भी मिलेगी. 

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3. पीईटी स्कैन - यह एक इमेजिंग परीक्षण है. यह ट्यूमर, हृदय रोग, मस्तिष्क विकारों जैसी बीमारियों के निदान के लिए जरूरी है. इसमें शरीर किस प्रकार काम कर रहा है, यह तक देखा जा सकता है. जबकि अन्य स्कैन से केवल शरीर की संरचना ही देखी जा सकती है. अब तक यह सुविधा राजधानी के तीन निजी केंद्रों के पास ही थी.  लेकिन, अब ये खास सुविधा हर मरीज की पहुंच में आ जाएगी. 

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4. गामा नाइफ - ब्रेन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए गामा नाइफ सबसे एडवांस तकनीक है. साल 2019 में इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था. तब से ही इसके शुरू होने का इंतजार हो रहा है. कोरोना के चलते काम दो साल अटकने से यह सुविधा आने में पांच साल लग रहे हैं. इसका उपयोग ज्यादातर नसों में मौजूद छोटे ट्यूमर खासकर ब्रेन ट्यूमर के लिए किया जाता है. 

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किडनी और हार्ट के मरीजों को 24 घंटे इलाज

डॉ. सिंह ने बाताया कि एम्स भोपाल में चार नई डायलिसिस मशीन लगाई जा रही हैं. इसके अलावा अब डायलिसिस और कैथ लैब 24 घंटे चलेगी. जिससे ज्यादा मरीजों को इलाज मिलेगा. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया. केंद्र से इसके लिए जरूरी मैन पावर के लिए अनुमित मिल गई है. यही नहीं, एम्स के क्रिटिकल यूनिट में नए 70 बेड जोड़े जा रहे हैं. जिससे विभाग में कुल बैड 230 हो जाएंगे. 

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