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MP: करोड़ों का घोटाला करने वाले 6 अफसर-कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज, इन योजनाओं में किया है गड़बड़झाला

MP News: मध्य प्रदेश के भिंड में सरकार की दो महत्वपूर्ण योजनाओं में करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले 6 अफसर-कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. 

MP: करोड़ों का घोटाला करने वाले 6 अफसर-कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज, इन योजनाओं में किया है गड़बड़झाला

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के भिंड में सरकार की कर्मकार मंडल और संबल योजना में 3 करोड़ 4 लाख रुपए का घोटाला करने का मामला सामने आया है. इस मामले में नगर पालिका के दो तत्कालीन सीएमओ, शाखा प्रभारी सहित 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है. एक आरोपी की मौत हो चुकी है. पुलिस ने यह एफआईआर चार महीने के बाद दर्ज की है. दोषी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए पार्षदों ने एसपी ऑफिस घेर लिया था. एसपी ने कोतवाली टीआई को बुलाकर बंद चेंबर में बातचीत की. कुछ देर बाद बीजेपी के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह के हस्तक्षेप के बाद देर शाम एफआईआर दर्ज हुई.

ऐसे हुआ खुलासा

मध्यप्रदेश की के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रमिकों के हित को ध्यान में रखकर भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल व संबल योजना शुरू की थी. इसकी शुरूआत साल 2018 में हुई थी. इस योजना के तहत श्रमिक की दुर्घटना में मौत हो जाने पर 4 लाख रुपये,सामान्य मौत पर 2 लाख और आंशिक अपंगता पर 1 लाख मिलने की योजना थी. जिसका उद्देश्य हर श्रमिकों को इसका लाभ मिलना था. लेकिन इस योजना का लाभ भिंड नगर पालिका के कर्मचारी और अधिकारियों ने उठाया. इस बात का खुलासा एक वार्ड पार्षद ने नगर पालिका में लगाई सूचना के अधिकार के तहत किया है. जिसमें पता लगा है कि इस योजना का किस तरह से श्रमिकों को राशि नहीं देकर अफसरों ने बंदरबाट किया है. 

इसमें शाखा प्रभारी राजेन्द्र सिंह चौहान  फर्जी प्रकरण तैयार करते और अलग-अलग एआरआई इनकी जांच करते थे.इतना ही नहीं तत्कालीन सीएमओ इन फर्जी प्रकरणों को स्वीकृति देते रहे.

अब इस मामले में दो तत्कालीन सीएमओ वीरेंद्र तिवारी और सुरेंद्र शर्मा समेत सात कर्मचारियों को दोषी माना गया है.हालांकि इनमें से एक कर्मचारी की मौत हो चुकी है. इन लोगों ने मिलकर 3 करोड़ 4 लाख का घोटाला किया है. 

कलेक्टर ने बनाई थी जांच टीम

इसकी शिकायत कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से की गई. कलेक्टर ने 30 मई 2024 को पांच सदस्यीय टीम का गठन किया. इसमें डीपीसी व्योमेश शर्मा समेत अन्य कर्मचारी शामिल थे.जांच टीम ने 18 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इसमें 152 मामले ऐसे निकले, जिनका हितग्राही कोई और था व दो-दो लाख रुपए दूसरे के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए. इतना ही नहीं 7 मामलों में तो दस्तावेज ही गड़बड़ पाए गए. कलेक्टर  ने इनके अलावा 3 प्रकरणों की अलग से जांच करने का जिम्मा श्रम निरीक्षक को दिया था.

मनीष झा की जांच में दो प्रकरणों में कूटरचित खाता लगा होना पाया गया.ऐसे में 3 करोड़ 4 लाख रुपए से अधिक का घोटाला होने का खुलासा हुआ. नगरीय प्रशासन जांच में 7 कर्मचारी दोषी पाए गए, एक की मृत्यु हो चुकी है.

इस मामला में एफआईआर दर्ज करवाने के लिए नगर पालिका सीएमओ यशवंत वर्मा ने कोतवाली टीआई प्रवीण चौहान को पत्र भेजा था. जिसको लेकर टीआई मामले में ओरिजनल जांच रिपोर्ट का हवाला देकर पिछले चार महीने से टालमटोल कर रहे थे. जिसको लेकर नगर पालिका के उपाध्यक्ष भानु सिंह भदौरिया सहित सभी पार्षद लामबंद हो गए.पार्षदों ने एफआईआर की मांग को लेकर नगर पालिका के बाहर धरने पर बैठकर प्रदर्शन किया. 

शनिवार की दोपहर सभी पार्षद एसपी असित यादव से मिले.वर्तमान सीएमओ यशवंत वर्मा ने भी एसपी से मुलाकात की.एसपी ने तत्काल कोतवाली टीआई प्रवीण चौहान को तलब किया और पांच घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. 

उसके बाद बीजेपी के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह ने भी एसपी से मुलाकात की और बंद चेंबर में दो घंटे बातचीत की. देर शाम सीएमओ यशवन्त वर्मा पार्षदों के साथ कोतवाली पहुंचे. जहां आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में आवेदन दिया. लेकिन आवेदन में आरोपियों के नाम स्पष्ट नहीं दिख रहे थे. जिसको लेकर पार्षदो ने सीएमओ का घेर लिया. फिर सीएमओ को लेकर पार्षद कोतवाली थाने पहुंचे.

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इनके खिलाफ दर्ज हुई FIR

पुलिस ने बताया कि सीएमओ यशवंत वर्मा की शिकायत पर राजेंद्र सिंह चौहान (सहायक ग्रेड थ्री), राधेश्याम राजौरिया (एआरआई), शिवनाथ सिंह सेगर (सेवानिवृत्त एआरआई), अशोक जाटव (सेवानिवृत्त एआरआई), तात्कालीन सीएमओ सुरेंद्र शर्मा और तात्कालीन सीएमओ वीरेंद्र तिवारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467, 468 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है है. इन आरोपियों ने योजनाओं के लाभार्थियों के नाम पर कूट रचित बैंक खातों के जरिए गबन किया और वास्तविक हितग्राहियों को भुगतान न करते हुए, अन्य व्यक्तियों को धनराशि हस्तांतरित की है.

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