Madhya Pradesh: भिंड (Bhind) में पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD) में पदस्थ चतुर्थ कर्मचारियों के एरियर समेत अन्य भुगतान संबंधी मामले में लेटलतीफी अब गले की फांस बन गई है. श्रम न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की और भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को पार्टी बनाते हुए भुगतान कराए जाने के आदेश दिए. इस पर भिंड कलेक्टर ने तहसीलदार मोहनलाल शर्मा को भेजकर दफ्तर सील करा दिया है.
लंबे समय से अटके हुए थे पेमेंट
दरअसल भिंड के पीडब्ल्यूडी में पदस्थ एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों के पेमेंट लंबे समय से अटके हुए थे. यह कर्मचारी पूर्व में कुशल व अकुशल श्रेणी के थे, जो कलेक्ट्रेट रेट पर पीडब्ल्यूडी कार्यालय में तैनात थे. वर्ष 2016 में उक्त कर्मचारियों को एक आदेश के बाद तृतीय व चतुर्थ श्रेणी ग्रेड में शामिल कर लिया गया था. इनमें से अधिकांश कर्मचारी रिटायर हो गए थे. इन कर्मचारियों के एरियर, पेंशन जैसे प्रकरणों का भुगतान अटका हुआ है.
कोर्ट ने सुनाया ये बड़ा फैसला
ये कर्मचारी लंबे समय से अपनी लड़ाई लड़ते चले आ रहे थे. बाद में ये लड़ाई कोर्ट में पहुंची. न्यायालय ने इस मामले में गंभीरता बरती और कलेक्टर को भुगतान कराए जाने के आदेश दिए. न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश पर स्थानीय पीडब्ल्यूडी के ईई एबी साहू ने पूरे प्रकरण की जानकारी ग्वालियर, सागर, भाेपाल के अफसरों को दी. इसके बाद भोपाल के अफसरों ने द्वारा जो पेमेंट का चार्ट तैयार किया गया. बताया गया है कि इस पर न्यायालय की सहमति नहीं है. इसके बाद न्यायालय ने पूरे मामले को सख्ती से लिया और पुन: कलेक्टर को सख्ती से पेश आने और भुगतान कराए जाने के आदेश दिए.
PWD दफ्तर किया गया सील
न्यायालय के आदेश को ध्यान में रखते हुए भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तहसीलदार मोहनलाल शर्मा को पीडब्ल्यूडी दफ्तर सील करने के निर्देश दिए. दफ्तर को सील किए जाने की कार्रवाई की गई और सरकारी वाहन भी जब्त कर लिए तहसीलदार शर्मा का कहना है कि न्यायालय के आदेश पर कर्मचारियों को भुगतान किया जाना है. पीडब्ल्यूडी के अफसर भुगतान करते है तो दफ्तर खोले जाएंगे. वरना पीडब्ल्यूडी का सामान राजसात करके नीलाम कराया जाएगा. जिस राशि से कर्मचारियों को भुगतान कराया जाएगा.
क्या कहा PWD अधिकारी ने जानिए
वहीं इस मामले में पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री साहू ने सफाई दी है. उनका कहना है कि इस पूरे मामले से सीनियर अफसरों को अवगत कराया जा चुका था. कुछ लोगों के भुगतान होने वाले थे. विभाग अपने नियमानुसार भुगतान कर रहा है. न्यायालय ने इस पर सख्ती दिखाई है. वरिष्ठ अफसरों को पूरा मामला बताया जा चुका है. भोपाल से जो निर्देश मिलेंगे वैसे आगे किया जाएगा.
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