Bhind Private Colleges Fraud: भिंड जिले में डीएड, बीएड, नर्सिंग, आईटीआई, पैरामेडिकल और फार्मेसी प्राइवेट कॉलेजों में बड़े स्तर पर चल रहे फर्जीवाड़े का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने दूसरी बार व्यापक जांच के आदेश जारी करते हुए राजस्व व शिक्षा विभाग की संयुक्त टीमों को जिलेभर में भेजा.
छह महीने पहले तत्कालीन कलेक्टर संज़ीव श्रीवास्तव ने भी इसी तरह की शिकायतों पर जांच कराई थी, लेकिन उस समिति में शामिल एमजेएस कॉलेज के प्रोफेसर सुनील त्रिपाठी पर निजी कॉलेजों से अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगे थे. कॉलेज संचालकों ने जांच के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाने की शिकायत की थी. इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर ने समिति को भंग कर दिया था. हालांकि अब तक प्रोफेसर त्रिपाठी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
दूसरी बार जांच के आदेश, 20 टीमें गठित
कलेक्टर मीणा ने दो दिन पहले ही अधिकारियों की आपात बैठक बुलाकर 3-3 सदस्यों की 20 जांच टीमों का गठन किया. टीमों के गठन के साथ ही जिले के शिक्षा माफियाओं में हड़कंप मच गया. गोहद, मेहगांव, फूप, लहार, अटेर और भिंड के सभी प्राइवेट कॉलेजों का भौतिक सत्यापन कराया गया.
100 कॉलेजों की जांच, फर्जीवाड़े की हकीकत आया सामने
जांच टीमों ने कुल 100 प्राइवेट कॉलेजों का भौतिक निरीक्षण किया, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ सामने आईं-
- गोहद में द रुद्र प्राइवेट आईटीआई कॉलेज की वास्तविक बिल्डिंग तक मौजूद नहीं मिली. टीमों के अनुसार, साइट पर कॉलेज का कोई अस्तित्व नहीं था.
- जैनेक्स प्राइवेट आईटीआई कॉलेज में कुल दर्ज 40 छात्रों में मौके पर केवल 2 छात्र मौजूद मिले. 5 में से सिर्फ 2 शिक्षक ही उपस्थित थे.
- अपेक्स कॉलेज में 100 छात्रों के पंजीयन के बावजूद कैंपस पूरी तरह खाली पाया गया.
- एक्सीलेंस वोकेशनल प्राइवेट आईटीआई कॉलेज में 342 छात्रों की सूची में से एक भी छात्र उपस्थित नहीं था. 23 में से केवल 2 शिक्षक मिले.
अधिकांश कॉलेजों में स्टाफ और छात्र गायब
आयुषी कॉलेज, सिद्धिविनायक डीएड कॉलेज, कन्हैया कॉलेज, गायत्री कॉलेज सहित कई संस्थानों में नियमित कक्षाएं नहीं मिलीं. स्टाफ मौजूद नहीं था, बिल्डिंग में मानक अनुरूप व्यवस्था नहीं. टीम को छात्रों के हस्ताक्षर फर्जी तरीके से कराए जाने की आशंका है.
कागजों में ही चलता था 'रेगुलर क्लास' का खेल
कलेक्टर को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि छात्र कॉलेज आते ही नहीं, कॉलेज प्रबंधन कागजों में उन्हें ‘रेगुलर' दर्शाता है. उपस्थिति रजिस्टर में फर्जी हस्ताक्षर भरवाए जाते हैं. स्टाफ भी कागजों में दर्ज दिखाया जाता है, असल में मौजूद नहीं होता. इन्हीं गंभीर शिकायतों के बाद कलेक्टर मीणा ने जांच प्रक्रिया को फिर शुरू कराया.
जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी जा रही है. नियमों का उल्लंघन करने वाले कॉलेजों पर मान्यता रद्द, एफआईआर, आर्थिक दंड, प्रबंधन से स्पष्टीकरण जैसी कार्रवाई संभव है. जिले में शिक्षा माफिया पर नकेल कसने के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.
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