Bhagoria Mela: मांडू में भगोरिया मेला का आयोजन, इतिहास और संस्कृति का दिखा अद्भुत नजारा, विदेशी पर्यटक भी हुए शामिल

Bhagoria Mela 2025: मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी मांडू में भगोरिया उत्सव का आयोजन हुआ, जहां ढोल की थाप और मांदल की आवाजों के बीच विदेशी पर्यटक झूमते नजर आए. 

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Bhagoria Festival 2025 in Mandav: मध्य प्रदेश के पर्यटन नगरी मांडू में भगोरिया मेला (Bhagoria Mela 2025) का आयोजन हुआ. इस मेला में इतिहास और संस्कृति का अद्भुत मिलन देखने को मिला. ढोल- मांदल की थाप और आदिवासी नृत्य ने इस ऐतिहासिक स्थल को फिर से जीवंत बना दिया. हजारों की संख्या में लोग मांदल की थाप और बांसुरी की धुन पर पारंपरिक नृत्य करते हुए निकले. युवतियां भी पारंपरिक गेर भगोरिया का सबसे बड़ा आकर्षण रही. 

ढोल की थाप पर झूमते नजर आए विदेशी पर्यटक.

विदेशी सैलानियों पर भी चढ़ा भगोरिया मेला का रंग 

मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी मांडू में भगोरिया उत्सव का आयोजन हुआ. यहां के चतुर्भुज श्री राम मंदिर, जामा मस्जिद और अशर्फी महल परिसर में आयोजित भगोरिया मेले में 30 से अधिक ढोल मांदल नृत्य दलों ने भाग लिया. यह दृश्य सचमुच अद्भुत था, जहां ढोल की थाप और मांदल की आवाजों के बीच विदेशी पर्यटक भी झूमते नजर आए. 

मांदल की थाप पर झूमते दिखे विदेशी पर्यटक

मंडू में भगोरिया मेले का रंग विदेशी सैलानियों पर भी चढ़ा. खासकर ब्राजील से आए पर्यटक, जिन पर आदिवासी संस्कृति का ऐसा प्रभाव पड़ा कि वे खुद को रोक नहीं सके. बांसुरी की धुन और मांदल की थाप पर उन्होंने भी आदिवासी नृत्य किया. 

भगोरिया मेला सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना. इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए खास इंतजाम किए. नायब तहसीलदार राहुल गायकवाड, मांडू थाना प्रभारी राम सिंह राठौड़ और नालछा थाना प्रभारी राहुल चौहान सहित पूरा पुलिस बल मेला क्षेत्र में चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था में जुटे रहे.

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भगोरिया मेला का नजारा काफी दिलचस्प था

स्पेनिश पर्यटक लंदा ने मांडू के भगोरिया पर्व की सराहना करते हुए कहा कि मैं इंदौर गेस्ट हाउस में रुकी थी, जहां मुझे पता चला कि मांडू में भगोरिया पर मनाया जा रहा है. मैं मांडू आना चाहती थी और मेरे लिए मांडू आने का यह सही समय था. यहां का नजारा काफी दिलचस्प था. सभी गांव और समुदायों को एक साथ देखना वास्तव में बहुत ही सुंदर अनुभव था.

मांडू के भगोरिया मेले में इतिहास, संस्कृति और आधुनिकता का अद्भुत मिलन देखने को मिला. इस आयोजन ने न केवल आदिवासी परंपराओं को जिंदा रखा, बल्कि विदेशी सैलानियों को भी हमारे सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू कराया.

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