बस्तर में 'महतारी वंदन' नहीं 'मोदी का पैसा'!दंतेवाड़ा के कसोली गांव की महिलाएं नाम से अंजान पर काम से खुश

Mahtari Vandan Yojana:छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के गांव में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महतारी वंदन योजना को महिलाएं कितना जानती हैं? बस्तर की महिलाओं के खाते में कहां से आ रहा है मोदी का पैसा? मोदी का पैसा स्कीम क्या है? बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के चर्चित कसोली गांव इन सवालों के जवाब मिल जाते हैं.

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Bastar Dantewada News: बस्तर के दूरस्थ अंचलों में सरकारी कागजों पर दर्ज 'महतारी वंदन योजना' का नाम भले ही अनजान हो, लेकिन 'मोदी का पैसा' शब्द घर-घर की पहचान बन चुका है. दंतेवाड़ा के चर्चित गांव कसोली की महिलाओं के लिए हर महीने खाते में आने वाले एक हजार रुपये किसी सरकारी स्कीम से ज्यादा एक भरोसे का नाम है. दिलचस्प बात यह है कि योजना का आधिकारिक नाम जानने से ज्यादा महिलाओं को इस बात की खुशी है कि चुनाव में किया गया वादा उनके बैंक खातों तक पहुंच रहा है.

कसोली: संघर्ष की यादों से खुशहाली के सफर तक

दंतेवाड़ा जिले का कसोली गांव छत्तीसगढ़ की राजनीति और इतिहास में एक खास मुकाम रखता है. साल 2005-06 के दौर में जब बस्तर सलवा जुडूम के संघर्ष से जूझ रहा था, तब यह गांव सैकड़ों प्रभावित लोगों का सहारा बना था. आज इसी गांव की गलियों में विकास और आर्थिक सशक्तिकरण की नई चर्चाएं हैं. सलवा जुडूम के दौर के प्रमुख चेहरे और वर्तमान विधायक चैतराम आटामी का गृह ग्राम होने के नाते यहां की हलचल पर सबकी नजर रहती है. हालांकि आज यहां की चर्चा का केंद्र राजनीति नहीं, बल्कि महिलाओं के खातों में आने वाली आर्थिक मदद है.
 

Mahtari Vandan Yojana: दंतेवाड़ा के कसोली गांव की महिलाओं को महतारी वंदन योजना की जानकारी नहीं है. वे इसे 'मोदी का पैसा' नाम से जानती हैं

नाम में क्या रखा है, काम तो 'मोदी का पैसा' कर रहा

गांव की एक छोटी सी किराना दुकान चलाने वाली अंजलि से जब योजना के बारे में पूछा गया, तो उनके चेहरे पर मुस्कान तैर गई. वे बताती हैं कि पिछले करीब डेढ़ साल से उनके खाते में नियम से एक हजार रुपये आ रहे हैं. लेकिन जब उनसे 'महतारी वंदन योजना' के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया कि वे इस नाम की किसी योजना को नहीं जानतीं. उनके लिए और उनके साथ बैठी शांति और श्यामबती के लिए यह सिर्फ 'मोदी का पैसा' है. इन महिलाओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उनसे वादा किया गया था कि मोदी जी पैसे भेजेंगे, और अब वही पैसा उनके काम आ रहा है.

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भरोसे की गारंटी और तकनीकी उलझनों का पेच

गांव के सरपंच शैलेश आटामी इस जमीनी हकीकत को बखूबी समझते हैं. वे बताते हैं कि करीब 3000 की आबादी वाले इस गांव में 1700 महिलाएं हैं, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत को योजना का लाभ मिल रहा है. हालांकि, सोनकी जैसी कुछ महिलाएं भी हैं जो आज भी आवेदन करने के बाद इस लाभ से वंचित हैं. सरपंच के मुताबिक,गांव में इस योजना का नाम 'मोदी का पैसा' इसलिए पड़ा क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान 'मोदी की गारंटी' के तहत इसे इसी तरह प्रचारित किया गया था. जो महिलाएं छूट गई हैं, उनके लिए कलेक्टर से गुहार लगाई गई है ताकि पोर्टल दोबारा खुले और उन्हें भी इस सुरक्षा कवच का लाभ मिल सके.

चुनावी वादे से लेकर करोड़ों के भुगतान का सफर

गौरतलब है कि साल 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को 'मोदी की गारंटी' का नाम दिया था. इसी गारंटी के तहत महतारी वंदन योजना का वादा किया गया था. सरकार बनने के बाद फरवरी 2024 से यह योजना हकीकत बनी और अब तक 22 किस्तों के जरिए प्रदेश की लगभग 70 लाख महिलाओं के खातों में 14,600 करोड़ रुपये पहुंचाए जा चुके हैं. बस्तर के जंगलों और पहाड़ों के बीच बसी इन महिलाओं के लिए भले ही योजना का नाम तकनीकी हो, लेकिन 'मोदी का पैसा' उनके लिए आत्मनिर्भरता की एक नई इबारत लिख रहा है.
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