Banshi Gurjar fake encounter case: बहुचर्चित बंशी गुर्जर फर्जी एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार पन्ना डीएसपी ग्लेडविन एडवर्ड कार और हेड कांस्टेबल नीरज प्रधान की जमानत याचिका इंदौर जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट ने खारिज कर दी है. दोनों ने 4 अप्रैल को बेल एप्लिकेशन नंबर 18929/2025 कोर्ट में लगाई थी. कोर्ट ने 8 अप्रैल को प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका अस्वीकार कर दी.
सीबीआई दिल्ली यूनिट-1 ने दोनों को 2 अप्रैल 2025 को गिरफ्तार किया था. एक दिन की रिमांड के बाद इन्हें सेंट्रल जेल इंदौर भेजा था. इनके खिलाफ सीबीआई ने आईपीसी की धारा 307, 353, 332 और आर्म्स एक्ट की धारा 25, 27 के तहत केस दर्ज किया है. आरोप है कि इन्होंने फर्जी एनकाउंटर में किसी अन्य व्यक्ति को मार दिया था.
16 साल बाद सीबीआई को मिला ब्रेक थ्रू
सीबीआई ने बंशी गुर्जर मामले में 16 साल बाद बड़ा ब्रेक थ्रू मिला है. सीबीआई ने उस व्यक्ति की पहचान कर ली है जिसे 2009 में बंशी गुर्जर बताकर मार दिया था. हालांकि, सीबीआई ने मृतक का नाम अब तक सार्वजनिक नहीं किया है. पहचान के बाद सीबीआई ने दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया. खबर फैलते ही मामले में कई पुलिस अधिकारी भूमिगत हो गए.
ये जांच के दायरे में
बड़वानी एएसपी अनिल पाटीदार, पीथमपुर सीएसपी विवेक गुप्ता, इंदौर क्राइम ब्रांच एसीपी मुख्तियार कुरैशी और सेवानिवृत्त टीआई पीएस परमार सहित कई अधिकारी फरार बंशी गुर्जर के फर्जी एनकाउंटर में जांच के दायरे में हैं. ऐसे में ये सभी जांच ओपन होने पर अधिकारी भूमिगत हो गए है. तो कुछ अधिकारी लंबे अवकाश पर चले गए. कुछ बिना सूचना के गायब हैं. इनके मोबाइल भी बंद हैं. संबंधित जिलों के एसपी भी इनके बारे में जानकारी नहीं दे पा रहे. फर्जी एनकाउंटर में कुल 24 लोगों के नाम शामिल हैं, इनमें से 13 पुलिसकर्मी जांच के दायरे में है.
दो टीमों ने किया था एनकाउंटर
तत्कालीन नीमच एसपी वेदप्रकाश शर्मा बीते दिनों आईजी पद से रिटायर हो चुके हैं. उस समय एसपी शर्मा ने 16 पुलिसकर्मियों की दो टीमें बनाई थीं. 7 व 8 फरवरी 2009 की रात पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति को मारकर उसे बंशी गुर्जर बताया था, लेकिन 2012 में बंशी गुर्जर जिंदा मिला.
ऐसे हुआ था मामला उजागर
26 मार्च 2011 को जावरा-नयागांव फोरलेन पर भरभड़िया फंटे के पास एक शव मिला था. पहचान राजस्थान के मोतीपुरा निवासी तस्कर घनश्याम धाकड़ के रूप में हुई. परिजनों ने भी पुष्टि की लेकिन 25 सितंबर 2012 को घनश्याम भी जिंदा मिला. उसे राजस्थान के कनेरा गांव से गिरफ्तार किया गया. घनश्याम धाकड़ ने ही बताया था कि खुद को मृत दिखाने का आइडिया बंशी गुर्जर ने उसे दिया था. घनश्याम ने ही बताया था कि बंशी गुर्जर भी जिंदा है. घनश्याम के इस बयान के बाद मानो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया, क्योंकि बंशी गुर्जर के एनकाउंटर में तत्कालीन नीमच एसपी सहित कई पुलिस अधिकारियों ने वाहवही लूटी थी. इनाम भी हासिल किया था, लेकिन घनश्याम के बयान के बाद पुरा मामला ही फर्जी निकला.
जनहित याचिका में की थी सीबीआई जांच
बंशी गुर्जर के एनकाउंटर का राज खोलने के बाद उसे 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन के दानीगेट से गिरफ्तार किया था. इसके बाद पहले जांच सीआईडी को सौंपी गई, लेकिन विभागीय मिलीभगत से जांच आगे नहीं बढ़ पाई. इसके बाद उज्जैन के गोवर्धन पंड्या और नीमच के मूलचंद खींची ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई. नवंबर 2014 में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए.
मृतक की पहचान के बाद कार्रवाई तेज हुई
करीब 14 से 15 से सीबीआई की दिल्ली टीम बंशी गुर्जर की जगह मारे गए व्यक्ति की पहचान में जुटी थी. बताया जा रहा बीते कुछ दिन पूर्व ही बंशी की जगह मारे गए व्यक्ति की पहचान हुई, इसके बाद से कार्रवाई में तेजी आई है और इंदौर से तत्कालीन रामपुरा टीआई ग्लेडविन एडवर्ड और नीमच से तत्कालीन प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया.
अब सच्चाई सामने आने की उम्मीद
इस पूरे मामले में शासन और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. फर्जी एनकाउंटर सामने आने के बाद भी कई अधिकारियों को प्रमोशन मिला. वे अब तक सेवा में हैं. राजनीतिक संरक्षण की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. सीबीआई की ताजा कार्रवाई से उम्मीद है कि 16 साल पुराने इस मामले की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को सजा मिलेगी.