Bandhavgarh National Park Wild Elephants Death: मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व क्षेत्र बांधवगढ़ (Bandhavgarh Tiger Reserve) में एक के बाद एक जंगली हाथियों (Wild Elephants Death) की मौत हो गई है. हाथियों की मौत का आंकड़ा 10 तक पहुंच गया है. वन विभाग के अधिकारी PCCF Wildlife वीकेएन अंबाडे के अनुसार फिलहाल हाथियों की मौत में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है, लेकिन हाथियों के शव परीक्षण और फॉरेंसिक रिपोर्ट क्या कहती हैं. इसका इंतजार है. वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार सवाल उठा रहा है. पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इसे उठाया अब मध्य प्रदेश के पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार ने इस मामले में मोहन सरकार से सवाल पूछे हैं.
उमंग सिंघार ने क्या कहा?
उमंग सिंघार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि "दीपावली की पूर्व संध्या पर भगवान गणेश के प्रतीक दस हाथियों की बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मौत होना बेहद दुखद घटना है. हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं, पर मध्य प्रदेश सरकार हाथियों का संरक्षण नहीं कर सकी. इस घटना के पीछे कारण कोई भी खोजे जाएं, पर सबसे बड़ी लापरवाही वन विभाग की है, जिसने छत्तीसगढ़ और कर्नाटक से विस्थापित होकर आए हाथियों का इंतजाम नहीं किया. अब जरूरत है वन समितियों को पर्याप्त अधिकार देने और इस टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बसे आदिवासियों के साथ तारतम्य बैठाने की. अब सरकार को चाहिए कि वो लापरवाह वन अधिकारियों से इन हाथियों की मौत के बारे में सवाल करे."
जयराम रमेश ने क्या कहा था?
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को टैग करते हुए लिखा था कि "मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 7 हाथियों की मौत और 2 या 3 की हालत गंभीर होने की ख़बर बेहद चौंकाने वाली है. इससे बांधवगढ़ में एक ही झटके में हाथियों की आबादी 10% कम हो गई है. इसकी तुरंत पूरी जांच होनी चाहिए और सुरक्षात्मक उपाय किए जाने चाहिए."
यह भी पढ़ें : Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ में 10 जंगली हाथियों की मौत, दिल्ली की जांच टीम नेशनल पार्क में तैनात
यह भी पढ़ें : Dindori News: डिंडौरी ट्रिपल मर्डर केस को लेकर मचा बवाल, भारी पुलिस बल तैनात, जानिए क्या है मामला?
यह भी पढ़ें : मुगलकाल से Chitrakoot में लग रहा है गधों का मेला, इस बार 'सलमान' व 'शाहरुख' से मंहगा निकला 'लॉरेंस'
यह भी पढ़ें : Gwalior Fort: ग्वालियर किले में मौजूद है गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़, जानिए सिख गुरू और जहांगीर से जुड़ी कहानी