MLA अनुभा मुंजारे vs DFO नेहा श्रीवास्तव: ‘2 से 3 पेटी’ वाले आरोप का क्या हुआ? जांच रिपोर्ट ने खोला पूरा राज़

Balaghat MLA Anubha Munjare  (बालाघाट विधायक अनुभा मुंजारे) को रिश्वत (Bribery Case) के आरोप में मिली क्लीन चिट (Clean Chit). जांच टीम (Inquiry Team) ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, किसी गवाह ने आरोप की पुष्टि नहीं की.

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Balaghat MLA Anubha Munjare vs DFO Neha Srivastava:  मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे को बड़ी राहत मिली है. वन विभाग के डीएफओ पर रिश्वत मांगने के लगाए गए आरोपों के मामले में जांच टीम ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. टीम ने शासन को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विधायक के खिलाफ रिश्वत मांगने का कोई सबूत या गवाहों के बयान में पुष्टि नहीं मिली है.

मामला तब सुर्खियों में आया था जब दक्षिण सामान्य वन मंडल की डीएफओ नेहा श्रीवास्तव ने 18 अगस्त 2025 को अपने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि विधायक अनुभा मुंजारे ने उनसे “2 से 3 पेटी” की मांग की थी. यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और बालाघाट में भाजपा नेताओं ने इसके विरोध में बड़ा प्रदर्शन भी किया था.

घटना की गंभीरता को देखते हुए शासन ने दो सदस्यीय महिला जांच टीम गठित की थी, जिसमें भोपाल से एसीएफ स्तर की अधिकारी कमोलिका मोहंतो और बैतुल से सीसीएफ वासू कन्नौजिया को शामिल किया गया था. टीम ने 12 सितंबर को बालाघाट पहुंचकर विस्तृत जांच की. इसमें डीएफओ, अरण्य सदन के कर्मचारी, रसोइया, वाहन चालक, विधायक और उनके स्टाफ सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए गए.

जांच में पाया गया कि किसी भी गवाह ने यह नहीं कहा कि विधायक ने रिश्वत की मांग की या किसी प्रकार का दबाव बनाया. इस आधार पर जांच टीम ने विधायक अनुभा मुंजारे को क्लीन चिट देते हुए रिपोर्ट शासन को सौंप दी.

क्लीन चिट मिलने के बाद विधायक अनुभा मुंजारे ने कहा, “इस रिपोर्ट से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है. मुझ पर लगाये गए सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत थे. बीजेपी ने एक भ्रष्ट अधिकारी को संरक्षण देकर मुझे बदनाम करने की साजिश रची थी. अब सच्चाई सामने आ गई है. बीजेपी के जो नेता और पदाधिकारी मेरे खिलाफ रैली व बयानबाजी कर रहे थे, अगर उनमें जरा भी नैतिकता बची है तो उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए.”

उल्लेखनीय है कि यह पूरा विवाद लालबर्रा के सोनेवानी वन क्षेत्र में बाघ की मौत और उसे जलाने के मामले के बाद शुरू हुआ था. इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि विधानसभा में भी जोरदार बहस को जन्म दिया था. 

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