Ayodhya Ram Mandir: 'प्रगति और परंपरा का उत्सव,' रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर पढ़िए CM मोहन यादव का विशेष लेख

Ram Mandir Ayodhya: सीएम मोहन यादव ने अपने लेख में लिखा है कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का यह ऐतिहासिक क्षण हम सभी के लिये प्रेरणा का अवसर है. भारतके सांस्कृतिक वैभव और समृद्धि के इस पावन काल में यशस्वी प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर और सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है, हम इस संकल्प की सिद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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Ayodhya Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या (Shri Ram Janmbhoomi Mandir Ayodhya) में होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratishtha) समारोह को लेकर पूरे देश में उत्साह व उत्सव का माहौल है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने इस अवसर पर कहा है कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के स्वागत को लेकर पूरा देश राममय है.... वह पल अब और भी निकट है, जब हमारे रामलला अपने भव्‍य एवं दिव्‍य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं. ये खुशियां कई सालों के इंतजार की हैं और इन खुशियों का बस एक ही नारा है... “जय श्री राम”.

देश के स्वाभिमान की पुनर्स्थापना है श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा : सीएम 

मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने लेख में लिखा है कि "आज सौभाग्य का पावन अवसर है. सैकड़ों वर्षों बाद यह शुभ घड़ी आई है...अयोध्या में अपने जन्मस्थान पर रामलला विराजमान हो रहे हैं. पूरे संसार के सनातनी हर्षित, आनंदित और प्रफुल्लित हैं. समूचे विश्व में जयश्रीराम गुंजायमान है. हम सभीसौभाग्यशाली हैं कि हमें यह सुखद दृश्यदेखने का अवसर मिला है. श्रीरामजी की गरिमा के अनुरूप मंदिर निर्माण के लिये पीढ़ियों ने पांच सौ वर्ष तक संघर्ष किया इसमें अनगिनत बलिदान हुए." 

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राम मंदिर हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, राष्ट्रीयत्व और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है. यह सनातन समाज के संकल्प, संघर्ष और जिजीविषा का ही परिणाम है कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व में श्रीराम मंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है. यह उमंग और उत्सव का अवसर है,समूचा समाजउल्लास के साथ खुशियां मना रहा है.

सीएम ने आगे लिखा है कि राजा राम प्रत्येक भारतीय और विश्व में व्याप्त सनातनियों के आदर्श हैं. वे सत्यनिष्ठा के प्रतीक, सदाचरण और आदर्श पुरुष के साकार रूप मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. श्रीराम जन्मस्थान मंदिर निर्माण के हर्षोल्लास के साथ हमें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए. कर्तव्यपथ पर प्रतिबद्ध श्रीराम के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे सबके थे और सबको साथ लेकर चलते थे. सबका विश्वास अर्जित करने के लिये अपने सुखों का भी त्याग कर देते थे. वे जितने वीर थे, मेधावी थे उतने ही सहनशील भी. उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और विपरीत परिस्थिति कभी उन्हें विचलित नहीं कर सकती थीं.

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प्रजावत्सल राजा राम के लिये न्याय और राजधर्म सर्वोपरि था. इन्हीं अद्भुत विशिष्टताओं के कारण श्रीराम को आदर्श राजा कहा जाता है. उनकी राज व्यवस्था में न कोई छोटा था न कोई बड़ा था,सभी समान सम्मान के अधिकारी थे. सबको उनकी योग्यता, क्षमता और मेधा के अनुसार काम के अवसर प्राप्त थे. भेदभाव रहित समाज व्यवस्था के लिए रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है. रामराज्य में प्रजा की सुखद स्थिति का रामचरित मानस के उत्तरकांड में उल्लेख है-"दैहिक दैविक भौतिक तापा, राम राज नहिं काहुहि ब्यापा. "अर्थात् रामराज्य मेंशासन व्यवस्था इतनी आदर्श थी कि प्रजा समृद्ध, रोग रहित और आपदा रहित थी.

मोहन यादव

मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश सरकार

रामजी ने एक-एक व्यक्ति का विश्वास अर्जित किया और उन्हें संगठित किया : CM

सीएम मोहन यादव लिखते हैं कि राष्ट्र के सांस्कृतिक एकत्व के लिए श्रीराम जी ने उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया. वे अपना वनवासकाल पूर्ण करके लंका से सीधे अयोध्या नहीं आये. वे उन सभी स्थानों पर गये जो उनका वन गमन मार्ग था. लौटते समय निषाद, किरात, केवट और वनवासी समाज के सभी प्रमुख बंधुओं को अपने साथ लाये थे. अपने राजकाल में श्रीरामजी ने एक-एक व्यक्ति का विश्वास अर्जित किया और उन्हें संगठित किया. उनका पूरा जीवन राष्ट्र और समाज के लिये समर्पित रहा. हमें ऐसे ही राष्ट्र का निर्माण करना है.

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लगभग 500 सौ वर्षों की दीर्घ प्रतीक्षा और धैर्य के बाद रामलला पूर्व प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या आ रहे हैं. यह प्रगति और परंपरा का उत्सव है. इसमें विकास की भव्यता और विरासत की दिव्यता है. यही भव्यता और दिव्यता हमें प्रगति पथ पर आगे ले जाएगी.

माननीय प्रधानमंत्री के संकल्प के साथ समाज के संघर्ष और आत्मशक्ति का परिणाम है कि आज रामलला विराजमान हो रहे हैं. प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया है कि "जब अयोध्या में प्रभु राम विराजमान हों, तब हर घर में श्रीराम ज्योति जलाएं, दीपावली मनाएं." रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अवसर परहमने प्रदेश के शहरों और ग्रामों में रोशनी और दीप जलाने की तैयारी की है. प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में श्रीराम कथा सप्ताह मनाया जा रहा है.

माननीय प्रधानमंत्री ने भव्य राम मंदिर निर्माण के निमित्त एक सप्ताह तक देश के सभी मंदिरों तथा तीर्थ स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाने का आह्वान किया है. हमने मध्यप्रदेश में स्वच्छता से स्वास्थ्य और स्वास्थ्य से समृद्धि के लिए सभी तीर्थ स्थलों, मंदिरों तथा नदियों में स्वच्छता अभियान चलाया है.

चित्रकूट व रामवन पथ गमन के 1450 किलोमीटर के 23 प्रमुख धार्मिक स्थलों का होगा विकास

मुख्य मंत्री ने अपने लेख में बताया है कि "प्रभु श्रीराम ने वनवासकाल के लगभग 11 वर्ष चित्रकूट में व्यतीत किये हैं. हमने तीर्थ स्थल चित्रकूट सहित रामवन पथ गमन मार्ग के 1450 किलोमीटर के 23 प्रमुख धार्मिक स्थलों का विकास करने का निर्णय लिया है. इसमें अधोसंरचना विकास के कार्यों के साथ-साथ धार्मिक चेतना, आध्यात्मिक विकास और राम कथा से जुड़े आयामों को भी शामिल किया जाएगा. भगवान कामतानाथ के परिक्रमा पथ का निर्माण कार्य भी शीघ्र प्रारंभ होगा.

अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का यह ऐतिहासिक क्षण हम सभी के लिये प्रेरणा का अवसर है. भारतके सांस्कृतिक वैभव और समृद्धि के इस पावन काल में यशस्वी प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर और सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है, हम इस संकल्प की सिद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं.

भारत को यदि सशक्त औरविकसित राष्ट्रों की पंक्ति में अग्रणी बनाना है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा किसमाज संगठित रहे, समरस रहे, एकजुट रहे और प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बने. यदि भारत राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाना है, तो पूरे समाज को आत्मनिर्भर बनना होगा, तभी रामराज्य की कल्पना सार्थक हो सकेगी. आज रामलला अपने जन्म स्थल पर विराजमान हो रहे हैं इस सुमंगल अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई...

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