Bhopal News: बिना मीटर चलने के लिए हम पुलिस वालों को पैसे देते हैं, भोपाल का ऑटो चालक खुलेआम बोला

ऑटो चालकों की मनमानी से आम जनता भी परेशान है. यही कारण है कि अब लोगों ने डिजिटली ऑटो बुकिंग शुरू कर दी है. लोगों का कहना है कि मीटर होते नहीं और अगर होते हैं, तो उसमें भी गड़बड़ी कम नहीं है. वहीं, ऑटो चालकों से मीटर के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि बिना मीटर के चलने के लिए हम पुलिस को पैसे देते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की सड़कों ऑटो चालकों का एकक्षत्र राज है. वे यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं. इन के ऑटो में मीटर तो लगे हैं, पर सिर्फ नाम के लिए. ये न तो किराया बताते हैं और न ही इससे दूरी का पता चल पाता है. नतीजन यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है.

ये सब सालों से चल रहा है, पर जिम्मेदार अधिकारी लगाम नहीं लगा पा रहे हैं. नियम के मुताबिक हर साल ऑटो में लगे मीटरों का सत्यापन होना चाहिए, लेकिन यहां सत्यापन के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं ही होती है. जब ऑटो चालकों से मीटर के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि बिना मीटर के चलने के लिए हम पुलिस को पैसे देते हैं.

'कोई भी ऑटो मीटर के हिसाब से नहीं चलाता'

लोगों की इस मामले में शिकायत के बाद NDTV ने ऑटो चालकों का सच जानने के लिए रानी कमलापति स्टेशन, बोर्ड ऑफिस चौराहा और रोशनपुरा चौराहे पर स्टिंग किया, जिसके नतीजे बेहद चौकाने वाले मिले. NDTV की टीम ने स्टिंग की शुरुआत भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से की. यहां हमारी संवाददाता ने तीन ऑटो चालकों से भोपाल जंक्शन जाने को कहा. तीनों चालाक तैयार तो हो गए, लेकिन जब बात मीटर चालु करने की आई, तो ऑटो चालक भी हंसने लगे. जब ऑटो चालकों से हंसने की वजह पूछी गई, तो बोले कि मैडम यहां कोई भी ऑटो मीटर के हिसाब से नहीं चलाता है.

'बिना मीटर के चलने के हम पैसे देते हैं'

इसके बाद हमारी टीम पहुंची बोर्ड ऑफिस चौराहा. यहां भी कई ऑटो चालकों से संवाददाता ने मीटर के हिसाब से चलने को कहा, लेकिन मीटर की बात सुनकर वे ऐसे हैरान हुए, जैसे उनसे मीटर नहीं गाड़ी के कागज़ मांग लिए हो. किसी की ऑटो का मीटर खराब था, तो किसी की ऑटो में तो मीटर ही नहीं था. मीटर के बारे में पूछने पर चालक बोला कि बिना मीटर के चलने के हम पैसे देते हैं. कोई ऑटो चालक अगर आपको मीटर के हिसाब से छोड़ दे, तो मैं आपको मुफ्त में सफर कराऊंगा.

Advertisement

मीटर तो है, पर चालु करना ही नहीं आता

आखिर में हमारी टीम न्यू मार्केट के पास रोशनपुरा चौराहा पहुंची. यहां एक ऑटो चालक मीटर के हिसाब से चलने को मान तो गया, लेकिन जब मीटर चालु करने की बात आई, तो पता चला कि उसे मीटर चालु करना ही नहीं आता है.

8 साल पहले हुई थी मीटर की शुरुआत

दरअसल  राज्य की राजधानी भोपाल में ऑटो चालकों की मनमानी रोकने और यात्रियों से सही किराया लेने के लिए प्रशासन ने शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशनों से ऑटो प्रीपेड व्यवस्था 8 साल पहले शुरू की थी, जो धीरे-धीरे बंद हो गई. इस व्यवस्था के तहत ऑटो चालकों को तय किराया यात्री से लेकर बूथ पर बैठे कर्मचारी के पास जमा करना पड़ता था. जगह-जगह घूमने के बाद और हकीकत जानने के बाद जब एनडीटीवी ने ऑटो चालकों से बात की, तो यह निकलकर सामने आया कि आम जनता भी इसे लेकर जागरूक नहीं है. साथ ही ओला उबर के चलते आमजन बढ़ा हुआ किराया देने के लिए भी तैयार नहीं है.

Advertisement

डिजिटली ऑटो बुकिंग का बढ़ रहा चलन

ऑटो चालकों की मनमानी से आम जनता भी परेशान है. यही कारण है कि अब लोगों ने डिजिटली ऑटो बुकिंग शुरू कर दी है. लोगों का कहना है कि मीटर होते नहीं और अगर होते हैं, तो उसमें भी गड़बड़ी कम नहीं है. कॉलेज जाने वाली प्राची यादव कहती हैं कि मैं ओला ऑटो प्रेफर करती हूं, क्योंकि वह रिजनेबल है और आसानी से मिल जाती है. हमारी जरूरत के हिसाब से हम उसमें ट्रेवल कर सकते हैं. हम उसमें अकेले ट्रेवल कर सकते हैं ऑटो शेयर नहीं करनी पड़ती, सिक्योरिटी भी रहती है. उसे ट्रैक कर पाते हैं, तो सेफ फील करते हैं.

मीटर में भी गड़बड़ियां होती है

इसके अलावा, जॉब करने वाले शिव नारायण पचौरी कहते हैं कि ऑटो को भी चलना चाहिए, क्योंकि उन्हें भी रोजगार मिलना जरूरी है, लेकिन वह अपनी मनमर्जी करते हैं. इसलिए हम ऑटो ओला या उबर प्रेफर करते हैं. आम तौर पर पहले ऑटो से ही लोग सफर करते थे, लेकिन अब सब बदल चुका है . या तो ऑटो चालकों के डेस्टिनेशन के हिसाब से किलोमीटर फिक्स हो जाए या रेट फिक्स हो जाए, तो उनकी मर्जी नहीं चलेगी. या फिर मीटर के अनुसार काम करें, लेकिन अब मीटर में भी गड़बड़ियां होती है.

Advertisement

यह भी पढ़ें- Viral Video: दमोह में किसानों ने 'लूट' ली खाद की बोरियां, मौके पर पहुंची पुलिस ने भांजी लाठियां

वहीं, सरकार के मुताबिक केवल ऑटो में सील लगा देने से मनमानी ख़त्म हो जाती है. न किसी तरह की सख्त कार्रवाई की ज़रूरत है और न ही कड़े नियम बनाने की. हालांकि, आम जनता परेशान हैं, लेकिन इससे सरकार पर कोई फर्क ही नहीं पड़ता है?  डिप्टी डायरेक्टर, नाप तौल विभाग सचिन चौहान का कहना है कि हर मंगलवार को हम ऑटो की जांच कर उनपर फिटनेस सील लगाते हैं. एक साल तक यह सील वैलिड होती है. अब अगर वह मनमानी करते हैं, तो हम भी क्या कर सकते है?

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में ओबीसी को जल्द मिल सकता है 27% आरक्षण, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम