Aurobindo Medical College में 90 लाख की हेराफेरी, एचआर एग्जीक्यूटिव ने ऐसे लगाया चूना

Aurobindo Medical College: इंदौर के इंदौर के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. यहां मेडिकल कॉलेज के एचआर एक्जीक्यूटिव ने ही कॉलेज को 90 लाख का चूना लगा दिया. जानिए, क्या था इनका तरीका और कैसे पकड़ में आया?

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Aurobindo Medical College Scam News: इंदौर (Indore) के अरबिंदो मेडिकल कॉलेज में एक बड़ी वित्तीय धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. 26 वर्षीय एचआर एक्जीक्यूटिव वैभव पोरे ने 200 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर 90 लाख रुपये का गबन किया. यह हेराफेरी अक्टूबर 2023 से नवंबर 2024 के बीच की गई, जिसमें आरोपी ने अपने दोस्तों की मदद से फर्जी वेतन निकालकर रकम को विभिन्न खातों में ट्रांसफर किया.

मामला ऐसे हुआ उजागर

अस्पताल प्रबंधन को नियमित ऑडिट के दौरान अनियमितताओं का शक हुआ. जब बारीकी से जांच की गई, तो पता चला कि 200 कर्मचारियों के नाम और उनकी उपस्थिति फर्जी थीं. वैभव ने अपने दो सहयोगियों हिमांशु ठाकुर और सौरभ पलोट की मदद से कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे वेतन जारी करवाने का जरिया बनाया गया.

गर्लफ्रेंड पर खर्च किए लाखों

जांच में यह बात भी सामने आई कि आरोपी वैभव ने इस धनराशि का एक बड़ा हिस्सा अपनी गर्लफ्रेंड नंदिनी पर खर्च किया. उसने करीब 8 लाख रुपये के महंगे कपड़े, गहने और गोवा जैसी जगहों पर पार्टी के लिए इस्तेमाल किया. इसके अलावा, उसने अपने दोस्त सौरभ के खाते में 10 लाख रुपये ट्रांसफर करने के साथ ही अपने परिवार और अन्य परिचितों के खातों में भी पैसा भेजा.

पुलिस कार्रवाई और जांच

अस्पताल की शिकायत पर बाणगंगा पुलिस ने वैभव और उसके सहयोगियों के खिलाफ धारा 420, 406 और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है. पुलिस ने उन बैंक खातों की जांच शुरू कर दी है, जहां गबन की गई रकम जमा की गई थी. प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि आरोपी अपने सहयोगियों के खातों से रकम का बड़ा हिस्सा नकद निकालकर वापस लेता था. पुलिस अन्य संभावित आरोपियों और धन के इस्तेमाल के तरीकों की भी जांच कर रही है.

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अस्पताल प्रबंधन पर उठे सवाल

इस घटना ने अस्पताल की आंतरिक निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. लाखों रुपये के इस घोटाले ने दिखाया है कि कैसे लचर प्रबंधन और कमजोर ऑडिट प्रणाली के कारण संस्थान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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आगे की कार्रवाई

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही अन्य आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारियां की जाएंगी. साथ ही, आरोपी से पूछताछ के आधार पर गबन की गई रकम को बरामद करने के प्रयास जारी हैं.

यह मामला न केवल एक संस्थान के आर्थिक नुकसान का है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे आंतरिक प्रक्रियाओं की कमजोरियां ऐसे अपराधों को बढ़ावा दे सकती हैं.

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