अनूपपुर: मुस्लिम बेटी ने पेश की आपसी इत्तेहाद की मिसाल, 22 जनवरी को तय किया निकाह... बताई ये वजह 

देश भर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी अलग-अलग अंदाज में देखने को मिल रही है. हर तरफ लोगों में रामभक्ति को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. ये उत्साह मुस्लिम समुदाय के बीच भी साफ झलक रहा है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा में रहने वाली मुस्लिम बेटी साहिबा अली ने आपसी इत्तेहाद की अनोखी मिसाल पेश की है. 

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मुस्लिम बेटी ने पेश की आपसी इत्तेहाद की मिसाल, 22 जनवरी को तय किया निकाह... बताई ये वजह

लंबे अरसे के बाद अब जैसे-जैसे 22 जनवरी की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे लोगों में रामलला की भक्ति को लेकर अलग ही अंदाज देखने को मिल रहा है. लोग अलग-अलग तरीकों से अपने भक्ति भाव को दिखा रहे हैं. देश भर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की खुशी अलग-अलग अंदाज में देखने को मिल रही है. हर तरफ लोगों में रामभक्ति को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. ये उत्साह मुस्लिम समुदाय के बीच भी साफ झलक रहा है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के कोतमा में रहने वाली मुस्लिम बेटी साहिबा अली ने आपसी इत्तेहाद की अनोखी मिसाल पेश की है. 

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साहिबा अली

साहिबा अली ने 22 जनवरी के दिन किया निकाह का फैसला 

साहिबा अली ने 22 जनवरी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन ही निकाह करने का फैसला लिया है. इस ऐतिहासिक फैसले में साहिबा का पूरा परिवार व ससुराल पक्ष भी सहमत है. खबर के मुताबिक, साहिबा का निकाह रायपुर छत्तीसगढ़ में रहने आरिफ के साथ तय किया गया है. साहिबा के मामा ने कहा कि 22 जनवरी को राम मंदिर श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है.... इसलिए दोनों परिवार ने मिलकर इस तरह का फैसला लिया है. आपसी सौहार्द कायम रहे.  इस फैसले से किसी को कोई एतराज नहीं है. साहिबा अली ने निकाह के इस ऐतिहासिक फैसले के बारे हमसे बातचीत की, साहिबा ने बताया कि

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22 जनवरी को श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है इसलिए मैंने उसी दिन निकाह करने का फैसला लिया है. इसमें एक खास बात यह है कि उस दिन किसी भी तरह का नॉनवेज नहीं बनेगा. दावत में सिर्फ शाकाहारी भोजन शामिल किया जाएगा. ऐसा करने का फैसला इसलिए किया है कि क्योंकि उस दिन पूरा देश श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा में समलित होगा और हर जगह पूजा-पाठ किया जाएगा और मेरे इस फैसले से आपसी सौहार्द (एकता) बना रहे इसलिए हमने ऐसा करने के लिए सोचा है. 

साहिबा अली

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