Anukampa Niyukti Ghotala, Gwalior: अब तक पैसे और सामान के ही घोटाले होते थे, लेकिन ग्वालियर के पीएचई विभाग ने एकदम नये तरीके का ही घोटाला कर डाला. ये है अनुकम्पा नियुक्ति घोटाला. अपने विभाग के एक कर्मचारी की अलग-अलग वर्षों मे मौत दिखाकर किये गए आवेदनों के आधार पर विभाग ने उसके दोनों बेटों को अनुकम्पा नियुक्ति दे दी. सबसे बड़ी और चौंकाने वाली बात तो ये है कि लम्बे समय तक पिता के साथ ही उसकी कथित मौत के आधार पर अनुकम्पा नियुक्ति पाया बेटा एक ही विभाग मे नौकरी करते रहा. आइए जानते हैं क्या है मामला?
ऐसे हुआ घोटाला
दरअसल भूप सिंह पीएचई विभाग ग्वालियर मे कर्मचारी था. उसके दो बेटे थे रवि और पुष्पेंद्र. इन दोनों की ही इसी विभाग मे अनुकम्पा नियुक्ति हुई. अनुकम्पा नियुक्ति पिता के निधन पर होती है, वह भी एक ही संतान को मिलती है, लेकिन रवि और पुष्पेंद्र राजपूत दोनों सगे भाइयों की अनुकम्पा नियुक्ति हुई, वह भी अलग-अलग वर्षों में.
इसकी शुरुआत हुई 2008 में. पिता की कागजों में हुई मृत्यु के आधार पर 5 सितंबर 2008 को बड़े बेटे रवि राजपूत की कार्यभारित स्थापना में हेल्पर के पद पर नियुक्ति कर दी गई. उसे कार्यपालन यंत्री पीएचई, संधारण खंड 1 में पदस्थ किया गया. मृत्यु के समय भूप सिंह को नियमित कर्मी, कार्यालय-कार्यपालन यंत्री, पीएचई के संधारण खंड क्रमांक-1 में पदस्थ बताया गया. रवि के नियुक्ति आदेश में भूप सिंह की मृत्यु तिथि तक नहीं लिखी गई है.
छानबीन समिति ने फरवरी 2023 में निर्णय लिया कि कार्यभारित पंप अटेंडर कम ड्रायवर भूप सिंच की मृत्यु के बाद पुत्र पुष्पेंद्र राजपूत को नियुक्ति दी जा रही है. पुष्पेंद्र को कार्यभारित स्थापना में (अराज्यस्तरीय रिक्त चौकीदार के पद पर पदस्थ किया जाता है. मृत्यु के समय भूप सिंह को कार्यपालन यंत्री, पीएचई संधारण ख क्रमांक-2, मोतीझील में पदस्थ होना बताया गया.
विभाग में मच गया हड़कंप
इस घोटाले सुगबुगाहट से विभाग मे हड़कंप मच गया है. ग्वालियर मे पीएचई विभाग के चीफ इंजीनियर आर एल एस मौर्य का कहना है कि किसी व्यक्ति की दो बार मृत्यु होना संभव नहीं. ये संभव ही नहीं है कि एक कर्मचारी की दो बार मृत्यु हो और हर बार उसके परिजन को अनुकंपा नियुक्ति मिल जाए. उन्होंने कहाकि मैं इसकी जांच करूंगा और दोषी लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी की जायेगी. उन्होंने विभाग मे अब तक हुई सभी अनुकम्पा नियुक्तियों की छानबीन कराने के आदेश दिए ताकि यह पता चल सके कि इसके पीछे कहीं कोई रैकेट तो काम नहीं कर रहा था.
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