बूंद-बूंद के लिए तरस रहे किसानों ने हाथों में थामा मशाल, बोले- हमारी भी सुनो सरकार

Madhya Pradesh News: आगर मालवा के कई गांवों में सिंचाई की समस्या है. इससे ग्रामीण काफी परेशान हैं. इस बीच 75 गांवों के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर हाथों में मशाल उठा ली है.

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Agar Malwa News: एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि पूरे 75 गांवों के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर हाथों में मशाल उठा ली है. यहां आगर विधानसभा क्षेत्र के आगर और बडौद इलाके में सिंचाई के लिए पानी की समस्या है. ग्रामीणों का आरोप है कि सिंचाई के लिए पानी की समस्या इस हद तक बढ़ गई है कि उत्पादन आधा भी नहीं रहा, लेकिन इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में अब ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर 'जल सिंचाई आंदोलन मशाल यात्रा' निकाली है. 

आगर मालवा में ग्रामीणों ने थाम ली मशाल

जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर मारूबरडिया गांव में दर्जनों किसान हाथों में मशाल लिए  गांव की गलियों में घूमते नजर आए. इस दौरान किसान 'जय जवान जय किसान' का नारा लगा रहे थे. साथ ही लोगों से अपील की जा रही थी कि जल सिंचाई आंदोलन को सफल बनाने के लिए 27 मार्च को आगर मालवा जिला मुख्यालय पर आंदोलन में शामिल हो. इस दौरान कुछ युवाओं के हाथ में पोस्टर था, जिस पर लिखा था 'जल सिंचाई आंदोलन मशाल यात्रा'. 

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दरअसल, आगर मालवा के कई गांवों में लोग रात्रिकालीन बैठकें कर रहे हैं और जल सिंचाई आंदोलन को लेकर रणनीति बना रहे हैं. वहीं पूरी मुहिम की बागडोर युवाओं ने अपने हाथों में ले रखी हैं.

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75 से अधिक गांवों में पानी की समस्या

मारुबरडिया गांव के किसान प्रभु शर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि हमारे आगर और बडौद क्षेत्र के 75 से अधिक गांवों में पानी की बहुत समस्या है. इसी समस्या के चलते हमारा जो गेहूं का उत्पादन पहले 15 क्विंटल प्रति बीघा होता था वो घट कर पांच क्विंटल प्रति बीघा से भी कम रह गया है. 

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पलायन के लिए लोग हो रहे मजबूर

प्रभु शर्मा ने आगे कहा कि इसी के चलते क्षेत्र के लोग कर्ज में डूबे जा रहे हैं और पलायन के लिए मजबूर है. हमने जल सिंचाई आंदोलन चलाया है. गांव में हमने मशाल रैली निकाली है और 27 मार्च को जिला मुख्यालय पर सभी गांव के लोग इकट्ठा होकर प्रदर्शन करेंगे और कलेक्टर को ज्ञापन देंगे.

ग्रामीणों की सरकार से ये मांग

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार चाहे तो कुंडलियां, सामाकोटा या इंडोख के बांध से या अन्य माध्यमों से जो भी सम्भव हो इन गांवों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता करवाए.

रात्रिकालीन बैठकों का यह दौर झोटा, रामदेव जी तलाई, हरनावादा, मां हरसिद्धि बीजानगरी, काला जी महाराज मंदिर रनायरा, हनुमान निपनिया, बिनयागा, गढ़ी मरूबार्डीया, गंगापुर, आवर दोड़ खेड़ी, आदि कई गांवों में हो चुकी है. गांवों में किसानों से डोर टू डोर संपर्क किया जा रहा है और कई गांवों को मिला कर अलग अलग सेक्टरों में बांटा गया है. आंदोलन किसी भी तरह से उपद्रव या हंगामे की भेंट ना चढ़े इसके लिए 100 से अधिक युवाओं की एक टीम बनाई गई है, जो 27 मार्च को होने वाले आंदोलन की हर एक गतिविधि कर नजर रखेगी.

गांवों में सिंचाई की समस्या दूर करना हमारा मकसद- किसान

किसानों ने किसी भी तरह की राजनीतिक दल का समर्थन इस आंदोलन में नहीं मांगा है. किसानों का कहना है कि आंदोलन में जो भी शामिल होना चाहता वो केवल एक किसान के रूप में ही शामिल हो सकता है. हमारा मकसद सिर्फ हमारे गांवों में सिंचाई की समस्या दूर करना है. राजनीति का इसमें कोई स्थान नहीं. आंदोलन के प्रथम चरण में किसानों ने जिला मुख्यालय तक रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम तय किया है. मांग पूरी ना होने पर आगे की रणनीति पर विचार होगा.

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