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This Article is From Oct 11, 2023

जमानत के बाद सरकार पर बरसीं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे, कहा - राहुल गांधी की विचारधारा से प्रभावित हूं

निशा बांगरे ने कहा कि सरकार पद का दुरुपयोग और सत्ता के लालच में ये सब कर रही है. उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है, हमारे संवैधानिक अधिकार सदियों से हाशिए पर हैं. समाज में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को यह अधिकार नहीं मिल रहे हैं.

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जमानत के बाद सरकार पर बरसीं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे, कहा - राहुल गांधी की विचारधारा से प्रभावित हूं
निशा ने कहा कि अधिकारी जिस तरह से काम कर रहे हैं, अधिकारियों को नौकरी छोड़कर BJP ज्वाइन कर लेना चाहिए.
भोपाल:

Madhya Pradesh News : डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे करीब एक रात जेल में बिताने के बाद जमानत पर बाहर आ गई हैं, लेकिन जेल से छूटने के बाद भी उनके तेवर फीके नहीं पड़े हैं. जमानत मिलने के बाद उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि लगातार अधिकारों के लिए जो लड़ता है उनको दमन करने का काम बीजेपी सरकार करती है. एक पढ़ी लिखी महिला और अधिकारी के साथ मध्य प्रदेश सरकार यह काम कर रही है, ये पद का दुरुपयोग और सत्ता के लालच में किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है, हमारे संवैधानिक अधिकार सदियों से हाशिए पर हैं. समाज में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को यह अधिकार नहीं मिल रहे हैं.

हमारा लोकतंत्र खतरे में है : निशा

NDTV से खास बातचीत में निशा बांगरे ने कहा कि जब हम भोपाल पहुंचे हमारी न्याय यात्रा शांतिपूर्वक चल रही थी. हमने बाबा साहब की मूर्ति पर माल्यार्पण किया. हम मुख्यमंत्री से जवाब चाहते थे कि हमारे साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है. हमने कई बार समय मांगा, लेकिन नहीं दिया गया. लेटर दिए, लेकिन उसका भी जवाब नहीं दिया गया. मैं सिर्फ 1 जवाब चाहती हूं कि मेरे साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है? निशा ने कहा कि ये हमारे अधिकारों की लड़ाई है. ये अकेले मेरी बात नहीं है कि त्याग पत्र लेकर चुनाव लड़ना है. मैं चुनाव नहीं लड़ पाई तो भी मुझे कोई परेशानी नहीं है, लेकिन प्रॉब्लम ये है कि हमारा लोकतंत्र खतरे में है. हमारे संवैधानिक अधिकार सदियों से हाशिए पर हैं.

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'बीजेपी सरकार को जनता माफ नहीं करेगी'

निशा ने घटनाक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि पुलिस ने हमें रोका. बाबा साहब अम्बेडकर की मूर्ति के सामने जिस तरह एक महिला का चीरहरण किया गया, यह पुलिस के अमानवीय चेहरे को दिखाता है. उन्होंने कहा कि जो रक्षक होने चाहिए, वे भक्षक बन गए हैं. गुंडागर्दी पर उतर आए हैं. उन्होंने हमारे साथ खींचातानी की जैसे कि हम अपराधी या आतंकवादी हैं. इस तरह का बर्ताव भोपाल पुलिस के द्वारा किया गया. यह निंदनीय है. एक महिला के साथ इस तरह का व्यवहार सरकार कर रही है, उसके लिए जनता इनको माफ नहीं करेगी और आने वाले चुनावों में मुंह तोड़ जवाब देगी.

'सरकार को हारने का है डर'

निशा बांगरे ने कहा कि मेरे मकान के उद्घाटन में सर्व धर्म प्रार्थना रखी गई थी, जिसमें सभी धर्मों के धर्मगुरु आए थे. आशीर्वाद लेकर हम उद्घाटन करना चाहते थे लेकिन सरकार ने वहीं से रोक लगानी शुरू कर दी क्योंकि बड़ा जनसमुदाय मेरे साथ हमेशा से जुड़ा रहा है. बैतूल जिले में मेरी पदस्थापना हुई थी, वहीं मेरा मकान बना. वहां के लोग मुझसे दिल से जुड़े हुए हैं. इनको ये बात खटकने लगी. वहां के विधायक ने काम नहीं किया, आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया. उनसे जनता नाराज चल रही है. उन्हें यही डर था कि अगर मैं वहां से किसी भी पार्टी से कैंडिडेट घोषित होती हूं तो इनको हारने का डर बना रहता. इसलिए उन्होंने मुझे रोकने का प्रयास किया.

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राहुल गांधी की विचारधारा से हूं प्रभावित : निशा

निशा ने चुनाव लड़ने पर कहा कि ऑप्शन बहुत सारे हैं. मेरा त्यागपत्र भी मंजूर नहीं हुआ है. कांग्रेस ने मेरा समर्थन किया है, जब मैं न्याय यात्रा में पहुंची तो पूर्व मंत्री पी सी शर्मा और महिला प्रदेश अध्यक्ष विभा पटेल आयीं. सभी मौजूद थे. मुझे लगता है कि कांग्रेस साथ है और राहुल गांधी की जो विचारधारा है हम मोहब्बत बांटते हैं, ये नफरत फैलाते हैं. मैं प्रभावित जरूर हूं लेकिन आने वाला समय बताएगा कि कांग्रेस का क्या सोचना है और हमारी विचारधारा किसके साथ मिलती है.

'अधिकारियों को नौकरी छोड़ बीजेपी ज्वाइन करनी चाहिए'

निशा बांगरे ने कहा कि सर्वधर्म प्रार्थना को रोकने का जब काम किया गया तो मैं बहुत आहत हुई. मुझे लगा कि जिन्होंने देश में आजादी देने का कार्य किया, संविधान की स्थापना की, हम उसको बनाकर रखें. ये हमारे जीवन का उद्देश्य है इसलिए मैं सिविल सेवा में आई, लेकिन ये दुर्भाग्य की बात है जिस तरह की शासन प्रणाली अभी काम कर रही है. अधिकारी जिस तरह से काम कर रहे हैं, अधिकारियों को नौकरी छोड़कर BJP ज्वाइन कर लेना चाहिए. अच्छे लोगों को नौकरी में आना चाहिए, राजनीति में आना चाहिए. इन अधिकारियों की अच्छी मंशा नहीं है और ना ही सरकार की. इसलिए महिलाओं के ऊपर अत्याचार किया जा रहा है और सरेआम चौराहे पर कपड़े फाड़े जा रहे हैं.

'लोक सेवा आयोग के अधिकारी करते हैं चापलूसी'

निशा ने कहा कि मैं MNC में इंजीनियर थी. लेकिन मेरे अंदर हमेशा से माता-पिता और स्कूल टीचर ने देश भक्ति की भावना डाली है. हम चाहते थे कि देश की सेवा करें. मैं जॉब करती थी, जनता के बीच में जाना चाहती थी. इसलिए मैंने सोचा कि मैं सिविल सेवा में जाऊं और मैंने तैयारी की, जिसके बाद मैं DSP और डिप्टी कलेक्टर बनी. यहां आकर मैंने देखा कि लोक सेवा आयोग के अधिकारी जो कि सेवा के लिए यहां आते हैं लेकिन ये सिर्फ नेताओं की चापलूसी करना चाहते हैं. इन्हें लोगों से कोई मतलब नहीं है, न्याय से कोई मतलब नहीं है.

'सरकार ने हाई कोर्ट को गुमराह किया'

उन्होंने कहा कि जब मैंने तुरंत त्यागपत्र दिया कि अब मुझे ऐसे पद पर नहीं रहना. जहां मैं अपने अधिकारों को ही प्राप्त नहीं कर सकती तो फिर उन्होंने मुझे नोटिस देना शुरू कर दिया और इस्तीफे को रोकने का प्रयास अभी तक जारी है. इसके बाद हम हाईकोर्ट गए. जब तीन महीने से ज्यादा का वक्त हो गया तो आवेदन देने के बाद निवेदन भी किया. उसके बाद भी जब वे नहीं मानें तो हम सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए. 

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