बच्चों के साथ 40 दलित परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म, गांव के लोगों पर लगाया छुआछूत करने का आरोप

गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया था. इसी क्रम में एक साथ पूरा आयोजन किया, परंतु भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया.

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40 परिवारों ने अपनाया बौद्ध धर्म

Madhya Pradesh News:  शिवपुरी में एक साथ 40 परिवारों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है. जिले के करेरा ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया है. बौद्ध धर्म अपनाने इन लोगों ने अपने साथ भेदभाव और साथ छुआछूत का आरोप लगाया है. वहीं गांव के सरपंच का कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं. ग्रामीणों को बहला फुसला कर उनसे बौद्ध धर्म स्वीकार करवाया गया है .

शिवपुरी जिले की करेड़ा तहसील के बहगवां गांव से धर्मांतरण का एक वीडियो सामने आया है जिसमें 40 परिवारों के साथ उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी धर्म परिवर्तन की शपथ लेते हुए साफ दिखाई पड़ रहे हैं. जिला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए बस इतना कहा है कि उन्हें जानकारी मिली है अब वह जांच कर रहे हैं.

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 40 परिवारों ने एक साथ अपनाया बौद्ध धर्म

शिवपुरी जिले के करेरा तहसील के अंतर्गत आने वाले बहगवां ग्राम से जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार ग्राम बहगवां में पूरे गांव के लोगों ने एक साथ मिलकर भागवत कथा का आयोजन करवाया था. गांव में 25 साल बाद सम्मिलित रूप से हुई भागवत कथा के लिए सभी समाज के लोगों ने चंदा एकत्रित किया था. इसी क्रम में एक साथ पूरा आयोजन किया, परंतु भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और हिंदू धर्म का परित्याग करने की शपथ भी ले ली.

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धर्म परिवर्तन करने वाले एक दलित परिवार के मुखिया महेंद्र बौद्ध का कहना है कि "भंडारे में सभी समाजों को काम बांटे गए, इसी क्रम में जाटव समाज को पत्तल परसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, लेकिन बाद में किसी व्यक्ति ने यह कह दिया कि अगर जाटव समाज के लोग पत्तल परसेंगे तो पत्तल तो वैसे ही खराब हो जाएगी. ऐसे में इनसे सिर्फ झूठी पत्तल उठवाने का काम करवाया जाए और अंत में गांव वालों ने कह दिया कि अगर आपको झूठी पत्तल उठाना है तो उठाओ नहीं तो खाना खाकर अपने घर जाओ."

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प्रधान ने कहा बहलाफुसला कर बदलवाया गया है धर्म

महेंद्र बौद्ध ने कहा कि इसी छुआछूत के चलते हम लोगों ने समाज को बौद्ध धर्म अपनाने को कहा और सभी लोगों ने बौद्ध धर्म अपना लिया. वहीं गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. उनके अनुसार उक्त समाज के लोगों ने एक दिन पूर्व ही अपने हाथ से केले का प्रसाद बांटा था जो पूरे गांव ने लिया और खाया भी.
उनके अनुसार गांव में बौद्ध भिक्षु आए थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहला फुसला कर धर्म परिवर्तन करवाया है पूरे गांव में किसी भी तरह का काम किसी समाज विशेष को नहीं बांटा गया था, सभी ने मिलजुल कर सारे काम किए हैं.
 

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