Madhya Pradesh News: साल 2019 में केन्द्र सरकार ने बड़े नेक इरादे से हर घर नल से जल योजना (Har Ghar Nal Jal Yojana) की शुरुआत की...इरादा है कि अगस्त 2024 तक देश में रहने वाले सभी परिवारों के घर तक पीने का साफ पानी उपलब्ध करा दिया जाए. मध्यप्रदेश में भी ये मुहिम तेजी से जारी है. यहां भी दावा किया जा रहा है कि लाखों परिवारों को नल के जरिए पीने का पानी (drinking water) उनके घर तक पहुंचा जा रहा है. हालांकि जब NDTV ने जमीनी हकीकत का पता लगाया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. राज्य की राजधानी भोपाल (Bhopal News) में ही दर्जनों गांव ऐसे हैं जो आज भी पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. यहां लोग या तो खरीद कर या फिर अपने घर से लंबी दूरी तय कर पीने का पानी लाने के लिए मजबूर हैं. हद ये है कि राज्य की पीएचई विभाग के मंत्री संपतिया उइके का कहना है कि साल 2025 तक राज्य में हर घर नल से जल योजना पूरी हो जाएगी. यानी केन्द्र की मियाद से कहीं ज्यादा MP ने अपने लिए लक्ष्य तय कर रखा है.
भोपाल के कुठार गांव में हमने पाया कि गांव में सिर्फ हवा में नलकी लटकी हुई है. टंकी टंकी बन गई है लेकिन अभी तक बोर नहीं हुआ है. गांव के ही निवासी राजमल मीणा कहा कहना है कि एक साल हो गया है पूरे गांव में नाली खुदी पड़ी है। आए दिन इन नालियों में लोग गिरते रहते हैं और पूरी पाइपलाइन हवा में लटकी हुई है. गांव में जिन लोगों के पर्सनल बोर हैं वह गांव के हर घर से 1000 प्रति महीना देकर पीने का पाइप लाइन से पानी देते हैं वह भी सिर्फ रोजाना 10 मिनट. राजमल के मुताबिक उनके गांव की आबादी 1800 लोगों की है. लेकिन पूरा गांव पानी के मारे परेशान है जिन लोगों के पास हजार रुपए नहीं है वह बहुत-बहुत दूर से पीने का पानी लेकर आने को मजबूर है. उनका कहना है कि उन्होंने विधायक-सांसद से लेकर कलेक्टर तक को शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. गांव में खुदी हुई नालियों में गिरने से दो लोगों के हाथ फैक्चर हो चुके हैं.
कुछ ऐसा ही हाल खजूरी गांव का भी है. यहां के निवासी शिव प्रसाद साहू बताते हैं कि एक साल पहले गांव में पाइप लाइन डाली गई लेकिन आज तक नल नहीं लगा. सिर्फ पाइपलाइन लगा दी है गई है जो जगह-जगह टूट कर गिर रही है. सीएम हेल्पलाइन 181 पर शिकायत की तो वह कहते हैं कि काम हो रहा है लेकिन हुआ कुछ नहीं. खुदाई की वजह से आवागमन में भी दिक्कत हुई. शिवप्रसाद का कहना है कि उन्हें शिकायत वापस लेने की धमकी भी दी गई. राताताल गांव में तो और भी बुरे हाल हैं. यहां महिलाओं को आप दूर-दराज से पानी लाते आसानी से देख सकते हैं.
यहां के ग्रामीणों को तो हर घर नल से जल योजना का पता ही नहीं है. गांव की बसंती बाई का कहना है कि र्मी में समस्या और भी बढ़ जाती है यहां वहां या फिर जंगल में पानी भरने जाना पड़ता है. लाइट नहीं रहने से गांव की टंकी में भी पानी नहीं चढ़ पाता. इसी गांव के जुगल किशोर सेन बताते हैं कि हमारे गांव में नल जल योजना नहीं है. लोग एक-डेढ़ किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाते हैं. जहां से पानी भरते हैं वहां पर बहुत भीड़ लग जाती है. दो नल चलते हैं और एक छोटी सी टंकी है पूरा गांव इसी से पानी भरता है. सरपंच से कहते हैं तो उनका जवाब होता है कि ये मेरा डिपार्टमेंट नहीं है पीएचई विभाग से शिकायत करो.
अब इस मामले में जब हमने पीएचई विभाग की मंत्री मंत्री संपतिया उइके से बात की तो उनका कहना है कि बहुत अच्छा काम चल रहा है.कहीं-कहीं कुछ गड़बड़ी नज़र आई थी जिसे ठीक किया जा रहा है. मैं खुद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विधायकों से मिलकर उनके क्षेत्र की स्थिति को जान रही हूं. हमारे 60% काम कंप्लीट हो चुके हैं और 40% बाकी हैं जो साल 2025 तक पूरे हो जाएंगे. हालांकि मंत्री जी ने ये जरूर कहा कि पाइपलाइन डालने के लिए सड़क की खुदाई करने वाले ठेकेदारों ने सड़क नहीं बनाई तो सकी डिपॉजिट राशि में से उतनी राशि रोककर पंचायतों को देंगे.
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