गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति को समझने के लिए विजिट करें भोपाल का शौर्य स्मारक, सैनिकों की कहानी कर देगी भावुक

यदि आप भी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के खास मौके पर देशभक्ति के रंग में डूबना चाहते हैं तो भोपाल के शौर्य स्मारक जाएं, जो आपके दिल में देशभक्ति की भावना जगा देगें, आइये जानते हैं भोपाल के शौर्य स्मारक की कहानी के बारे में..

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Shaurya Smarak: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में शौर्य स्मारक सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यहां वीर और सैनिकों के समर्पण की कहानी देखने को मिलती है. यदि आप भी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस (Republic Day 2024) के खास मौके पर देशभक्ति में डूबना चाहते हैं तो भोपाल के शौर्य स्मारक (Shaurya Smarak) जाएं. यहां आपके दिल में देशभक्ति की भावना जाग उठेगी. आइये जानते हैं भोपाल के शौर्य स्मारक की कहानी.

शौर्य स्तंभ

शौर्य स्मारक भोपाल शहर का प्रसिद्ध स्थल है. यहां एक सुंदर गार्डन है, यहां पर लोगों को हमारे देश के लिए शहीद हुए सैनिकों और वीरों के बारे में विस्तार से जानने मिलता है. यहां पर आपको एक स्तंभ देखने मिलेगा, इस स्तंभ को "शौर्य स्तंभ" कहा जाता है. ये हमारे वीर सैनिकों के लिए समर्पित हैं. जिन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.

यहां एक भूमिगत संग्रहालय बना हुआ है. ये वॉर म्यूज़ियम है, जिसमें हमारी वीर सैनिकों के बारे में बताया गया है कि कैसे वीर जवान देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं और वे किस परिस्थितियों में रहकर वे दुश्मनों से युद्ध किया करते थे.

युद्ध और दृश्यों को देखकर पर्यटक होते हैं आकर्षित

शौर्य स्मारक को मुंबई के वास्तुकार सोना जैन द्वारा डिजाइन किया गया था, शौर्य स्मारक में युद्ध स्थल से जुड़ी तमाम जानकारियां भी मिलती है. जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है, शौर्य स्मारक की वास्तुकला को महाभारत और रामायण की प्राचीन काल के साथ ही भारत के ऐतिहासिक समय में हुए युद्ध और दृश्यों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.

सैनिकों को दी जाती है श्रद्धांजलि 

शौर्य स्मारक में बहुत सारी अनूठी विशेषताएं हैं. जो इसे बाकी स्मारकों से अलग बनाती है. यहां आने वाले पर्यटकों को देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है. इस स्मारक की बनावट एक पारंपरिक हिंदू मंदिर की स्थापना शैली से मिलती-जुलती है. इसमें कक्ष बनाए गए हैं, जिसमें एक गर्भगृह है और एक मुख्य कक्ष है. इसी कक्ष में सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है. इतना ही नहीं युद्ध के दौरान दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी जान गवाने वाले सैनिकों के सम्मान में ये कक्ष बनाया गया है.

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