Shardiya Navratri 2024: दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, मंत्र से आरती तक सब कुछ जानिए यहां

Shardiya Navratri 2024 Day 2: नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी मां के पूजन का विधान होता है. इस दिन मां की स्तुति और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना लाभदायक माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मचारिणी माता की पूजा-आराधना करने वाले भक्त और श्रद्धालु शीघ्र ही सुख को भोग कर ब्रह्म तत्व की प्राप्ति करते हैं.

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Shardiya Navratri 2024 Day 2 Maa Brahmacharini Puja: नवरात्रि (Navratri) के दौरान नौ दिनों तक दुर्गा माता (Durga Mata) के 9 विभिन्न स्वरूपों या अवतारों की पूजा (Durga Puja 2024) की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. वहीं दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन पाठ होता है. शारदीय नवरात्रि पर हम आपको यहां पर देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से जुड़ी सभी जानकारी यहां उपलब्ध करा रहे हैं. उनके मंत्र से लेकर पूजा विधि, कथा और आरती तक सब कुछ यहां मिलेगा.

ब्रह्मचारिणी का अर्थ क्या है?

माता ब्रह्मचारिणी तप शक्ति का प्रतीक हैं. ब्रह्मचारिणी माता की आराधना करने से भक्त और श्रद्धालुओं में तप करने की शक्ति बढ़ती है. इसके साथ ही उनके सभी मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं. देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से दूसरे अवतार को ब्रह्मचारिणी मां के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मां के इस अवतार की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है.

'ब्रह्मचारिणी' नाम के अर्थ पर जाएं तो ये दो शब्द ‘ब्रह्म' और ‘चारिणी' से मिलकर बना हुआ है. ‘ब्रह्म' का अर्थ है तप या तपस्या, वहीं ‘चारिणी' का अर्थ है आचरण करने वाली. ऐसे में ब्रह्मचारिणी का शाब्दिक अर्थ है ‘तप का आचरण करने वाली'. महादेव भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए मां के इस स्वरूप द्वारा कठोर तपस्या की गई थी.

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Maa Brahmacharini Pooja Vidhi)

इस दिन सुबह उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. इसके बाद आसन पर बैठ जाएं. फिर मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उनकी पूजा करें. उन्हें पुष्प-फूल, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, भोग आदि अर्पित करें. मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, घृत यानी घी, मधु (शहद) और शर्करा से स्नान कराएं. उसके बाद मां का पसंदीदा भोग लगाएं. उन्हें पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें.

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मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)

या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दधना करपद्याभ्यांक्षमालाकमण्डलू।

देवीप्रसीदतु मयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

इस मंत्र का मलतब है कि देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अद्भुत और दिव्य है. माता के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है.

माता ब्रह्मचारिणी की आराधना का मंत्र है ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम: अर्थात जिन देवी का ओमकार स्वरूप है, उन सर्वोत्तमा देवी ब्रह्मचारिणी को हम सभी नमस्कार करते हैं.

मां ब्रह्मचारिणी का भोग (Maa Brahmacharini Bhog)

मां ब्रह्मचारिणी को भोग में शर्करा या गुड़ अर्पित करना बेहद शुभ माना गया है. ऐसा करने से लंबी उम्र का लाभ मिलता है,  आप माता के भोग के लिए गुड़ या चीनी से बनी मिठाई अर्पित कर सकते हैं.

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महत्व (Maa Brahmacharini significance)

ब्रह्मचारिणी मां हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात् कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है. बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है. अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात् समझने व तप करने की शक्ति के लिए इस दिन शक्ति का स्मरण करें. योगशास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान में स्थित होती है. इसलिए समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है.

मां ब्रह्मचारिणी की कथा (Brahmacharini Mata Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार पूर्वजन्म में इस देवी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद मुनि के उपदेश से भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था. इस तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाने लगा. ऐसा कहा जाता है कि मां ने कई वर्षों तक केवल फल-फूल खाकर बिताए.

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मां ने कई दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के कष्ट सहे. कई वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान भोले शंकर की आराधना करती रहीं. इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए. फिर कई वर्षों  तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं. पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा पड़ गया.

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम से कमजोर हो गया था. देवता, ऋषि-मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व बताया और सराहना करते कहा कि हे देवी! आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की. यह तुम्हीं से ही संभव थी. तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान शिव तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे. अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ. जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं.

देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी अवतार की कहानी हमें ये सीख देती है कि तप, त्याग, सदाचार, परिश्रम और संयम का मनुष्य के जीवन में कितना महत्व होता है.

आरती ब्रह्मचारिणी माता जी की (Maa Brahmacharini Aarti)

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥

जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाए। कोई भी दुख सहने न पाए॥

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने॥

रद्रक्षा की माला ले कर। जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर॥

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम॥

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी॥

आरती करते वक्त विशेष ध्यान इस पर दें कि देवी-देवताओं की 14 बार आरती उतारना है. चार बार उनके चरणों पर से, दो बार नाभि पर से, एक बार मुख पर से और सात बार पूरे शरीर पर से. आरती की बत्तियां 1, 5, 7 यानी विषम संख्या में ही बनाकर आरती करनी चाहिए.

पूजा सामाग्री लिस्ट

मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरी, लाल रेशमी चूड़ियां आदि.

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