World Disability Day: विकलांगता बनी दिव्यांगता; जानिए क्या कहती है इस साल की थीम?

World Disability Day: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 1.3 अरब लोग (यानी दुनिया की कुल आबादी का 16 प्रतिशत) किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जी रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता’ है और उनके लिए ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

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World Disability Day: विकलांगता बनी दिव्यांगता; जानिए क्या कहती है इस साल की थीम?

International Day of Persons with Disabilities 2025: हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय विकलांगजन दिवस मनाया जाता है. यह दिवस शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए पहुंच, सामर्थ्य और समानता सुनिश्चित करने पर बल देता है. इसका मुख्य उद्देश्य विकलांगता से जूझ रहे लोगों के प्रति होने वाले अपमान, भेदभाव और हाशिए पर धकेलने जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार करना है. इस दिन का लक्ष्य है कि ये नागरिक देश के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विकास में सक्रिय रूप से भाग ले सकें और उन्हें समाज में समान अवसर और सम्मान प्राप्त हो.

इस साल की थीम क्या कहती है?

संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष की थीम घोषित की है, “सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दिव्यांगजन समावेशी समाज को बढ़ावा देना.” यह थीम 1995 के कोपेनहेगन सामाजिक विकास विश्व शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं द्वारा की गई उस प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है, जिसमें सभी वर्गों को शामिल कर एक न्यायसंगत, समावेशी और बिना भेदभाव वाली दुनिया बनाने का वादा किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात' में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता' है और उनके लिए ‘विकलांग' शब्द की जगह ‘दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

वर्तमान में अधिकांश देशों के स्वास्थ्य बजट में दिव्यांगजनों की विशेष जरूरतें, जैसे कृत्रिम अंग, कॉक्लियर इम्प्लांट, व्हीलचेयर, ब्रेल उपकरण या साइन लैंग्वेज सेवाएं या तो शामिल नहीं हैं या बेहद सीमित हैं. इसके परिणामस्वरूप मरीजों को भारी खर्च करना पड़ता है, जिससे लाखों परिवार को गरीबी का सामना करना पड़ता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 1.3 अरब लोग (यानी दुनिया की कुल आबादी का 16 प्रतिशत) किसी न किसी रूप में दिव्यांगता के साथ जी रहे हैं. ऐसे में हेल्थ फाइनेंसिंग को समावेशी बनाना अब आवश्यक हो गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि जब तक स्वास्थ्य बीमा और सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाएं पहुंच, सामर्थ्य और समानता के सिद्धांतों पर आधारित नहीं होंगी, तब तक “सबके लिए स्वास्थ्य” का लक्ष्य अधूरा रहेगा. संगठन ने सदस्य देशों से अपील की है कि वे अपने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पैकेज में दिव्यांगता-संबंधी सेवाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करें.

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इतिहास ऐसा है

साल 1981 में अंतरराष्ट्रीय विकलांग वर्ष घोषित हुआ और 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया. साल 2007 में नाम बदला गया और इंटरनेशनल डे ऑफ डिसेबल पर्सन्स से इंटरनेशनल डे ऑफ पर्सन्स विद डिटेबिलिटिज कर दिया गया, ताकि सम्मानजनक भाषा को बढ़ावा मिले.

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