Naalcha Mata Mandir: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंदसौर (Mandsaur) का प्रसिद्ध नालछा माता मंदिर, यह मंदिर अपने अनोखेपन की वजह से प्रसिद्ध है. यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भैरव और भवानी एक ही गद्दी पर विराजित हैं. यहां माता का नरसिंह रूप है और इसी रूप के नाम से अपभ्रंश होकर गांव का नाम नालछा पड़ा है. आप भी यदि इस चैत्र नवरात्रि में माता के दर्शन करने की सोच रहे हैं तो मंदसौर के नालछा मंदिर ज़रूर जाएं. नवरात्रि (Navratri Puja) में इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, आइयें विस्तार से जानते हैं इस मंदिर (Mandsaur Temple) के बारे में....
तीन रूप में परिवर्तित होती है प्रतिमा
यहां माता की प्रतिमा दिन में तीन रूप परिवर्तित करती है सुबह बाल्यावस्था दिन में युवावस्था और शाम को वृद्धावस्था की झलक प्रतिमा में दिखाई देती है, जिसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और माता का आशीर्वाद लेते हैं.
माता भरती है सूनी गोद
माता के दरबार में गोद भराई की रस्म की जाती है, कहा जाता है कि जो महिलायें सूनी गोद लेकर मां से संतान की मांग करती हैं, माता उनकी अवश्य सुनती है.
राजा दशरथ ने किया था स्थापित
श्रद्धालु नरेश चंदवानी ने बताया की इस मंदिर के बारे में किवदंती है कि यह मंदिर राजा दशरथ ने स्थापित किया था,पास में ही श्रवण नाला बहता है, बताया जाता है कि श्रवण कुमार की गलती से हुई हत्या के प्रायश्चित के रूप में इस मंदिर की स्थापना की गई थी. इस मंदिर में दर्शन कर मनोकामना मांगने वाले सभी श्रद्धालुओं की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
मंदिर के पुजारी पंडित संजय ने बताया की इस मंदिर में रोजाना कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही माता की आराधना के उत्सव की शुरुआत हुई जिसमें सैकड़ो श्रद्धालु सम्मिलित हुए.