Malpua History: होली का त्योहार ऐसा त्योहार होता है, जब हर घर में गुझिया और ठंडाई का स्वाद चखने को मिलता है, हिन्दू धर्म के बड़े और अहम त्योहार में से एक होली पर हर कोई रंग-गुलाल लगाकर और दूसरों से गले मिलकर मनाता है. होली (Holi 2024) पर अहम पकवान बनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक है मालपुआ. मालपुआ का नाम आपने सुना ही होगा और इसे सुनते ही लोगों के मुँह में पानी आ जाता है. मालपुआ (Malpua) एक ऐसा व्यंजन है, जिसे होली के दिन बनाने का अपना एक अलग महत्व है, लेकिन क्या आप जानते हैं? मालपुआ को बनाने की शुरुआत (malpua in holi) होली के दिन से ही हुई थी, आइए जानते हैं मालपुआ के इतिहास के बारे में...
1500 ईसा पूर्व से बन रहा है मालपुआ
भारत की सबसे पुरानी मिठाई कही जाने वाली का ज़िक्र 3000 साल पहले पुराने वैदिक युग में मिलता है, 1500 ईसा पूर्व में वैदिक साहित्य ऋग्वेद में लगातार इसका उल्लेख मिलता है. उस समय इसे अपुपा के नाम से जाना जाता था, जिसे जौ के आटे से बनाए बनाया जाता था.
प्रबुद्ध आत्माओं को ही स्वाद चखने का मौका मिलता था
इसे बनाने के लिए सबसे पहले पानी में उबाला जाता था फिर देसी घी में डीप फ्राई किया जाता था और आख़िर में शहद में डुबाकर इसका मज़ा लिया जाता था, उस समय व्यंजन को केवल प्रबुद्ध आत्माओं को ही परोसा जाता था.
लोगों ने किए मालपुए के साथ एक्सपेरिमेंट्स
भारतीयों को मीठा खाना बहुत पसंद होता है, ऐसे में मीठा खाने के शौक़ के चलते मालपुए के साथ ही लोगों ने अलग-अलग प्रयोग करना शुरू कर दिए, जौ की जगह इसे गेहूं के आटे से बनाने लगे और शहद की जगह इसे गन्ने के रस में डुबोकर खाने लग गए.
वैसे तो यह व्यंजन 12 माह भारतीय रसोई घरों में बनाया जाता है लेकिन होली पर विशेष रूप से मालपुए को बनाने और खाने का नियम है.
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