मधुमेह, बवासीर, मलेरिया,खुजली, दाद से हैं परेशान....बस सिर्फ इस एक पौधे में है इलाज

Latakaranja Plant: मधुमेह, बुखार,बवासीर, मलेरिया, पेट में कीड़े, खुजली, दाद, फंगल इन्फेक्शन, उल्टी, आंखों की समस्या.....इन सभी बीमारियों में सिर्फ पौधा आपको राहत दे सकता है. चौंकिए नहीं- न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक लताकरंज जिसका वैज्ञानिक नाम कैसलपिनिया क्रिस्टा है वो आयुर्वेद की बेहद खास औषधि है. जानिए क्या है इसकी खासियत

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Health News: मधुमेह, बुखार,बवासीर, मलेरिया, पेट में कीड़े, खुजली, दाद, फंगल इन्फेक्शन, उल्टी, आंखों की समस्या.....इन सभी बीमारियों में सिर्फ पौधा आपको राहत दे सकता है. चौंकिए नहीं- न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक लताकरंज जिसका वैज्ञानिक नाम कैसलपिनिया क्रिस्टा है वो आयुर्वेद की बेहद खास औषधि है. इसे सामान्यत पूतिकरंज या अंग्रेजी में फीवर नट के नाम से भी जाना जाता है. ये बुंदेलखंड के इलाकों में बहुतायत में मिलता है. आयुर्वेद में लताकरंज के विभिन्न भागों, जैसे पत्ते, जड़, छाल और विशेष रूप से इसके कड़वे बीज का औषधीय उपयोग किया जाता है. 

सुश्रुत और चरक सहिंता में है वर्णन

सुश्रुत संहिता में लताकरंज की जड़ का उपयोग बुखार, विशेषकर मलेरिया और अन्य प्रकार के विषम ज्वर, और पेट के कीड़ों को कम करने के लिए किया जाता है, जिस वजह से इसे 'फीवर नट' भी कहते हैं. दूसरी तरफ चरक संहिता में लताकरंज का उल्लेख विरेचका फालिनी और पुष्पिका के रूप में किया गया है; इसके प्रयोग से मल त्यागने में आसानी होती है। वहीं, बवासीर में लताकरंज का उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया गया है; इसके जड़, छाल, पत्ते आदि का उपयोग किया जाता है। इसके पत्तों को पीसकर रोगी को पिलाने से फायदा मिलता है. 

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लताकरंज क्या है?

लतारकंज एक आयुर्वेदिक लता है। इस लता में कांटे बहुत होते हैं। इसके पत्ते, फल, शाखाएं सभी में कांटे होते हैं। इसलिए इसके पत्तों को बहुत आराम से काटना होता है। इसकी लताएं लगभग 20 मीटर लंबी होती हैं। इस पेड़ की यह खासियत है कि यह नदी, नालों, तालाबों आदि के बाद आराम से मिल जाता है. यह गांवों के मुकाबले शहरों में अधिक पाया जाता है. इसके फल पर बहुत अधिक कांटे होते हैं. 

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छोटे से लेकर बड़े तक सबके लिए लाभकारी

 छोटे बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं। इन कीड़ों को भगाने में लताकरंज बहुत लाभकारी है। इसके तेल को पिलाने से कीड़े मर जाते हैं. इसके अलावा चरक संहिता में ये भी उल्लेख मिलता है कि यह त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे खुजली, दाद, फंगल इन्फेक्शन और अन्य त्वचा विकारों में बहुत उपयोगी है. इसके पत्तों को पीसकर कनेर की जड़ के साथ मिलाकर लेप लगाने से लाभ मिलता है. लताकरंज का उपयोग उल्टी को रोकने के लिए भी किया जाता है.बस उल्टी के दौरान इसके पाउडर को शहद में मिलाकर चाटने से आराम मिलता है. वहीं, आप इसका चूर्ण भी बना सकते हैं और इसकी गोलियां बनाकर भी रख सकते हैं; उसका भी उपयोग उल्टियों को रोकने में किया जा सकता है. 

मधुमेह में भी लाभकारी है

भारत में मधुमेह के रोगियों की संख्या काफी अधिक है. अब बड़े ही नहीं, बल्कि छोटे भी मधुमेह से पीड़ित हैं. चूंकि लतारकंज का स्वाद कड़वा होता है, ऐसे में यह मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण दवा है. इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह के रोगियों की बार-बार पेशाब आने की समस्या में आराम मिलता है...हालांकिडायबिटीज में इसकी खुराक कैसे लेनी है, इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. लताकरंज के विभिन्न भागों का उपयोग आंखों की समस्याओं और कान बहने (कर्ण स्राव) जैसी स्थितियों में भी किया जाता है. इसके लिए भी डॉक्टरी सलाह ली जानी चाहिए. 

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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