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This Article is From Jul 10, 2023

कबीरधाम: धार्मिक पर्यटन का केंद्र है यह जिला, यहीं है ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’

पहले यह कवर्धा के नाम से जाना जाता था. कवर्धा जिले की स्थापना 6 जुलाई 1998 में हुई थी. 2003 में कवर्धा का नाम बदल कर कबीरधाम कर दिया गया. मैकाल पर्वत से घिरा यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक पर्यटन के लिए भी जाना जाता है.

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कबीरधाम: धार्मिक पर्यटन का केंद्र है यह जिला, यहीं है ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’

छत्तीसगढ़ में सकरी नदी के दक्षिणी तट पर कबीरधाम जिला है. कबीर साहिब के आगमन और उनके शिष्य धर्मदास के गद्दी स्थापना के कारण ही इस जिले के नाम कबीरधाम पड़ा. यह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का गृह जिला है. पहले यह कवर्धा के नाम से जाना जाता था. कवर्धा जिले की स्थापना 6 जुलाई 1998 में हुई थी. 2003 में कवर्धा का नाम बदल कर कबीरधाम कर दिया गया. मैकाल पर्वत से घिरा यह जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक पर्यटन के लिए भी जाना जाता है.

नागवंशी राजाओं की राजधानी, भोरमदेव में हैं पुराने किले के अवशेष

ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व वाला यह जिला में कभी नागवंशी राजाओं की राजधानी था. जिला मुख्यालय से 17 किमी पर स्थित भोरमदेव ऐतिहासिक और पुरातात्विक कारणों से प्रसिद्ध है. भोरमदेव 9वीं से 14वीं सदी तक नागवंशी राजाओं की राजधानी रहा था. उसके बाद इस क्षेत्र पर रतनपुर के हैहयवंशी राजाओं का कब्जा हो गया था. भोरमदेव में नागवंशी राजाओं के बनवाए गए पुराने किलों के अवशेष अब भी मौजूद हैं.

भोरमदेव में है छत्तीसगढ़ का पहला सहकारी शक्कर कारखाना

जिले में हरिनछपरा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां कई औद्योगिक इकाइयां हैं. भोरमदेव शक्कर कारखाना छत्तीसगढ़ का पहला सहकारी शक्कर कारखाना है. इसकी स्थापना 2003 में हुई थी. यहां राज्य का पहला एथेनॉल कारखाना इस साल अप्रैल से शुरू हो चुका है. यहां एकलामा, चेलिकलामा और चिल्कीघाटी में लौह अयस्क, बोरई और दलदली में बॉक्साइड की खाने हैं. इसके अलावा चूना पत्थर और सोपस्टोन भी मिलता है.

भोरमदेव मंदिर माना जाता है छत्तीसगढ़ का खजुराहो

भोरमदेव मंदिर और भोरमदेव अभयारण्य यहां के प्रमुख पर्यटन क्षेत्र हैं. कबीरधाम मुख्यालय से 18 किमी पर स्थित भोरमदेव मंदिर शिव भगवान को समर्पित है. यह मंदिर खजुराहो और कोणार्क सूर्य मंदिर से समानता के लिए जाना जाता है. इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहते हैं. भोरमदेव अभयारण्य मैकाल की हरियर वादियों में 352 वर्ग किमी में फैला है. इसके अलावा सरोदा बांध, छेरकी और मड़वा महल, रानी दहरा जलप्रपात मुख्य पर्यटन केंद्र हैं.

आइए एक नजर डालते हैं कबीरधाम से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां पर-

  • कबीरधाम में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां सबसे ज्यादा कोदो और कुटकी की खेती होती है.
  • कबीरधाम में एक नगर पालिका परिषद कवर्धा और पांच नगर पंचायत बोडला, पंडरिया, पांडातराई, पिपरिया और सहसपुर लोहरा हैं.
  • कबीरधाम में दो विधानसभा क्षेत्र पंडरिया और कवर्धा हैं.
  • कबीरधाम जिले की जनसंख्या जनसंख्या- 44,205 और साक्षरता दर 66% है.
     
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