ऐतिहासिक जगहों और मंदिरों से भरपूर छतरपुर जिला मध्य प्रदेश की उत्तर पूर्वी सीमा की तरफ पड़ता है. यह उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में पन्ना जिला, दक्षिण में दमोह, दक्षिण-पश्चिम में सागर और पश्चिम में टीकमगढ़ से घिरा हुआ है. यह मध्यप्रदेश के उन 24 जिलों में से है जो सरकार द्वारा चलाए जा रहे पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि योजना के अंतर्गत आते हैं. यह जिला अपने चौतरफा फैली हुई प्राकृतिक सुदंरता के लिए भी जाना जाता है.
सदियों पुराना है छतरपुर का इतिहास
छतरपुर क्षेत्र का नाम बुंदेलखंड क्षेत्र की नींव रखने वाले बुंदेला राजपूत राजा छत्रसाल के नाम पर पड़ा. उनके वशंजों ने बुंदेलखंड पर 1785 तक राज किया. उसके बाद यहां पर पंवार राजपूतों ने कब्जा कर लिया था. लेकिन 1854 के बाद कोई उत्तराधिकारी न होने की वजह से यह राज्य ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया था. लेकिन उन्होंने इसे एक विशेष अनुग्रह पर इसे जगत राज को सौंप दिया. 1947 में भारत की आजादी के बाद छतरपुर के राजाओ ने भारत में विलय कर लिया और भारत के विंध्य प्रदेश का हिस्सा बना, जो कि बाद में साल 1956 में मध्यप्रदेश में विलीन हो गया.
औद्योगिक इतिहास और संस्कृति
छतरपुर जिले में कोई भी बड़े स्तर की इंडस्ट्री मौजूद नहीं है. यहां की ज्यादातर जनसंख्या खेती पर निर्भर है. हालांकि यह क्षेत्र तेजी से प्राइवेट व्यवसायिक क्षेत्र में खासकर के रिटेल बाजार में तरक्की कर रहा है. यहां ग्रेनाइट माइनिंग का काम भी अच्छे स्तर पर होता है. इसके अलावा यह क्षेत्र अक्सर सूखे से भी ग्रसित रहता है. जिसकी वजह से यहां खेती और पीने के पानी की समस्या बनी ही रहती है.
पर्यटन स्थल और मुख्य आकर्षण
पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो छतरपुर में काफी फलता फूलता है. वजह है यहां चारों ओर फैली प्राकृतिक सुदंरता और ऐतिहासिक इमारतें. खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिरों को देखने के लिए तो देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी पर्यटक आते हैं. इसके अलावा मुख्य आकर्षणों की बात करें तो भीमकुंड, कुटनी आईलैंड, पांडव फॉल, जटाशंकर आदि जगहें हैं, जो कि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
छतरपुर एक नजर में
- जिला मुख्यालय -छतरपुर
- क्षेत्रफल -8687वर्ग किमी
- जनसंख्या - 1,762,375
- जनसंख्या घनत्व -203/वर्ग किमी
- लिंगानुपात - 884/1000
- साक्षरता -83.49%
- तहसील -11
- संभाग -सागर
- विधानसभा क्षेत्र -6
- लोकसभा क्षेत्र-1