Income Tax Audit Deadline: भारत में आयकर रिटर्न और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. इसी तरह की करीब 30 अन्य याचिकाएं देशभर के विभिन्न उच्च न्यायालयों में दाखिल की गई हैं.
याचिकाकर्ता कमल वालेचा का कहना है कि बिना ऑडिट वाले आयकरदाताओं के लिए रिटर्न भरने की अंतिम तिथि पहले 31 जुलाई थी, जिसे बाद में 16 सितंबर तक बढ़ाया गया. इस वजह से चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पहले से ही व्यस्त हो गए और ऑडिट करवाने वाले व्यापारी, संस्थान, ट्रस्ट और अन्य संगठनों को समय पर ऑडिट पूरा कराने में कठिनाई हुई.
इसके अलावा, जून माह में जारी होने वाले आयकर रिटर्न के जरूरी फॉर्म भी देरी से उपलब्ध कराए गए. साथ ही इन दिनों आयकर विभाग की वेबसाइट के धीमे चलने की समस्या ने टैक्स ऑडिट और फाइलिंग प्रक्रिया को और प्रभावित किया है. याचिका में तर्क दिया गया है कि ऐसी परिस्थितियों में 30 सितंबर की अंतिम तिथि बढ़ाना जरूरी है, ताकि करदाताओं और ऑडिटरों को पर्याप्त समय मिल सके. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की है.
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याचिकाकर्ता सीए कमल वालेचा ने बताया कि हमने आयकर विभाग और सीबीडीटी को अपनी परेशानियों से अवगत कराते हुए समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी, क्योंकि ऑडिट पूरा करने के लिए अब बहुत कम समय बचा है. त्योहारों के कारण व्यापारियों को ऑडिट करवाने का पर्याप्त समय नहीं मिला. नई अंतिम तिथि घोषित होने के बाद महज 14 दिन में पूरा ऑडिट कर पाना संभव नहीं है.
ऑडिट का काम केवल दस प्रतिशत ही पूरा हो पाया
उन्होंने कहा कि सीए और बार एसोसिएशन समेत अनेक संगठनों ने भी सरकार के सामने अपना पक्ष रखा है. अभी छह से सात दिन शेष हैं जबकि ऑडिट का काम केवल दस प्रतिशत ही पूरा हो पाया है. ऑडिट कराने और करवाने वाले मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. देरी होने पर एक लाख रुपये से अधिक के जुर्माने का प्रावधान है. चैरिटेबल ट्रस्टों को भी ऑडिट समय पर पूरा न होने की स्थिति में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
कमल वालेचा ने आरोप लगाया कि विभाग ने फॉर्म जारी करने में देरी की, लेकिन इसकी जिम्मेदारी ऑडिट करने वालों पर डाली जा रही है. यही कारण है कि न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा.