65 सालों में भारत में हिंदू आबादी घटी, अल्पसंख्यक बढ़े, बांग्लादेश और पाकिस्तान में हालात उल्टे

बीते 65 सालों में देश में हिंदुओं की आबादी 7.82 फीसदी कम हुई है. इसी दौरान देश में मुसलमानों की आबादी 43.15 फीसदी, सिखों की आबादी 6.58 फीसदी और ईसाइयों की आबादी में 5.38 फीसदी का उछाल आया है. ये खुलासा हुआ है प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में.

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Population of India: बीते 65 सालों में देश में हिंदुओं की आबादी (Hindu Population) 7.82 फीसदी कम हुई है. इसी दौरान देश में मुसलमानों की आबादी (Muslim Population in India) 43.15 फीसदी, सिखों की आबादी (Sikh Population )6.58 फीसदी और ईसाइयों की आबादी में 5.38 फीसदी का उछाल आया है. ये खुलासा हुआ है प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council of Prime Minister) की रिपोर्ट में. इस परिषद ने 1950 से लेकर 2015 तक आबादी में आए परिवर्तन के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में भारत के साथ-साथ पड़ोसी मुल्कों में भी बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक आबादी का भी ब्यौरा दिया गया है. इस रिसर्च रिपोर्ट को तैयार करने में आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य शमिका रवि, कंसल्लटेंट अपूर्व कुमार मिश्र और अब्राहम जोस की भूमिका अहम रही है. 

भारत में आबादी का ये है गणित 

रिपोर्ट की मानें तो भारत की जनसंख्या में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1950 में 84% से घटकर 2015 में 78% हो गई है जबकि इन्हीं 65 सालों में मुस्लिम समुदाय की आबादी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है. यानी देश में बहुसंख्यक आबादी की संख्या में 7.82 फीसदी की कमी आई है. रिपोर्ट के मुताबिक इसी समावधि में मुसलमानों की आबादी में 43.15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसी दौरान देश में ईसाई समुदाय की आबादी में 5.38 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. 1950 में देश की कुल आबादी में उनका हिस्सा 2.24 फीसदी था जो अब बढ़कर 2.36 फीसदी हो गया है. इसी तरह से देश में सिखों की आबादी में भी 65 सालों में 6.58 फीसदी की बढ़त दिखाई दी है. 1950 में देश की आबादी में सिखों का हिस्सा 1.24 फीसदी था जो 2015 में बढ़कर 1.85 फीसदी हो गया है. देश में बौद्ध समुदाय की आबादी में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है. 

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भारत में अल्पसंख्यक सेफ हैं

हालांकि इसी दौरान जैन और पारसी समुदाय की आबादी देश में घटी है. भारत में 1950 में जैनों की आबादी 0.45 फीसदी थी, जो 2015 में घटकर 0.36 फीसदी ही रह गई.इसी तरह से पारसियों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है. यह गिरावट करीब 85 फीसदी की है. देश में 1950 में पारसियों की संख्या 0.03 फीसदी थी. यह 2015 में गिरकर 0.004 फीसदी रह गई है. लेकिन पूरे रिपोर्ट के आधार पर ये कहा जा सकता है कि भारत में ज्यादातर अल्पसंख्यक न सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि उनकी आबादी बढ़ी भी है. जबकि भारत के ज्यादातर पड़ोसी मुल्कों में ऐसा नहीं है. 

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पड़ोसी मुल्कों में भारत से जैसे नहीं हैं हालात

भारत की तरह ही पड़ोसी देश म्यांमार में भी बहुसंख्यकों यानी बौद्ध समुदाय की आबादी में 10% की गिरावट दर्ज की गई है. नेपाल का भी हाल कुछ ऐसा ही है, जहां उसकी बहुसंख्यक यानी हिंदू आबादी में 3.6 फीसदी की गिरावट हुई है. दूसरी तरफ पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी 3.75 फीसदी , अफगानिस्तान में 0.29 फीसदी और बांग्लादेश में 18.5 फीसदी बढ़ी है. भूटान में 17.6 फीसदी तो श्रीलंका में 5.25 फीसदी बहुसंख्यक आबादी बढ़ी है. दोनों देशों में बौद्ध धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं.

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