PM Modi 6 जून को दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज और भारत के पहले केबल-स्टेड रेल ब्रिज की देंगे सौगात

PM Jammu and Kashmir Visit: प्रधानमंत्री 6 जून को जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे. यहां से पीएम कई सौगातें देंगे. ‘चिनाब रेल ब्रिज’ की वजह से कटरा और श्रीनगर के बीच यात्रा का समय घटकर 3 घंटे और कम हो जाएगा. इसके शुरू होने से घाटी के लोगों के आने-जाने का समय काफी बच पाएगा. चिनाब ब्रिज पर पहला ट्रायल रन जून 2024 में सफलतापूर्वक पूरा हुआ था. इसके बाद जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल किया गया था. वहीं अंजी ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेल ब्रिज है.

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PM Jammu and Kashmir Visit: जम्मू-कश्मीर से पीएम मोदी देंगे कई सौगात

PM Modi Jammu and Kashmir Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जून को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर रहेंगे. जहां से पीएम मोदी देश को कई सौगाते देंगे. पहले चिनाब नदी पर बने विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ‘चिनाब रेल ब्रिज' को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. यह ऐतिहासिक पुल न केवल कश्मीर घाटी को पूरे भारत से जोड़ेगा, बल्कि क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को भी नई गति देगा. वहीं प्रधानमंत्री अंजी पुल का भी उद्घाटन करेंगे, यह भारत का पहला केबल-स्टेड रेल ब्रिज होगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री कटरा में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन करेंगे. आइए जानते हैं क्या कुछ होगा खास.

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ऐसा है कार्यक्रम

प्रधानमंत्री सुबह करीब 11 बजे चेनाब पुल का उद्घाटन करेंगे और पुल के डेक का दौरा करेंगे. इसके बाद वे अंजी पुल का दौरा करेंगे और उसका उद्घाटन करेंगे. दोपहर करीब 12 बजे पीएम मोदी वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे. इसके बाद, वे कटरा में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित करेंगे.

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चमत्कार से कम नहीं है चिनाब ब्रिज

‘चिनाब रेल ब्रिज' को इंजीनियरिंग का एक आधुनिक चमत्कार कहा जाए तो गलत नहीं होगा. जम्मू और कश्मीर में स्थित यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है. यह ब्रिज पेरिस के मशहूर एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है और दिल्ली की मशहूर कुतुब मीनार से लगभग 287 मीटर ऊंचा है.

Chenab Bridge: चिनाब ब्रिज की खूबियां
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

‘चिनाब रेल ब्रिज' नदी के तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. 272 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग में 1315 मीटर का यह ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इस पुल का निर्माण 1486 करोड़ की लागत से किया गया है. यह 266 किमी प्रति घंटे तक की हवा की गति का सामना कर सकता है. साथ ही यह ब्रिज भूकंपीय क्षेत्र पांच में स्थित है और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप को सहने में सक्षम है.

इसके अलावा, ‘चिनाब रेल ब्रिज' की वजह से कटरा और श्रीनगर के बीच यात्रा का समय घटकर 3 घंटे और कम हो जाएगा. इसके शुरू होने से घाटी के लोगों के आने-जाने का समय काफी बच पाएगा. चिनाब ब्रिज पर पहला ट्रायल रन जून 2024 में सफलतापूर्वक पूरा हुआ था. इसके बाद जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल किया गया था. वहीं अंजी ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेल ब्रिज है. पुल पर चलने वाली वंदे भारत ट्रेन के ज़रिए कटरा और श्रीनगर के बीच यात्रा करने में सिर्फ़ 3 घंटे लगेंगे, जिससे मौजूदा यात्रा समय में 2-3 घंटे की कमी आएगी.

वंदे भारत की सौगात

प्रधानमंत्री श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर और वापस दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को भी हरी झंडी दिखाएंगे. पीएम मोदी पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों के लिए एक तेज़, आरामदायक और विश्वसनीय यात्रा विकल्प प्रदान करेंगे. इसके अलावा सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से अंतिम मील संपर्क को बढ़ावा देने के लिए, प्रधानमंत्री विभिन्न सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे और उनका उद्घाटन करेंगे.

पीएम राष्ट्रीय राजमार्ग-701 पर राफियाबाद से कुपवाड़ा तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना और एनएच-444 पर 1,952 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली शोपियां बाईपास सड़क के निर्माण की आधारशिला रखेंगे. इसके साथ ही श्रीनगर में राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर संग्राम जंक्शन और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बेमिना जंक्शन पर दो फ्लाईओवर परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री कटरा में 350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस की आधारशिला भी रखेंगे.

उल्लेखनीय है कि बीते 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनवमी के अवसर पर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल 'नये पंबन रेल पुल' का उद्घाटन किया था. 2.08 किलोमीटर लंबा यह ब्रिज कई मायनों में खास है. इसमें 18.3 मीटर के 99 स्पैन और 72.5 मीटर का एक वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है. यह पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा है, जिससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकते हैं. इसके ढांचे में 333 पाइल हैं. इसमें एंटी-कोरोजन तकनीक, पॉलीसिलॉक्सेन पेंट, उन्नत स्टेनलेस स्टील और फाइबर रिइंफोर्सड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह लंबे समय तक टिकाऊ रहेगा. इस ब्रिज के निर्माण ने भारत की डिजाइन और सर्टिफिकेशन में तकनीकी श्रेष्ठता को साबित किया है.

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