क्या अजमेर शरीफ की दरगाह हिंदू मंदिर है? किस किताब के हवाले से कोर्ट ने स्वीकार की याचिका

Ajmer Sharif Dargah News: हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दिल्ली के वकील शशि रंजन सिंह के जरिए अजमेर की CJM कोर्ट में 25 सितंबर को दायर किया था. याचिका में कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए. साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत अवैध कब्जे को हटाया जाए.

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Ajmer Sharif Dargah: ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह (Dargah of Khwaja Moin-ud-din Chishty, Ajmer Sharif) देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध है. लेकिन अब यह दरगाह परिसर चर्चा में एक अलग ही वजह से आ गया है. इस बार मामला लीगल है, क्योंकि संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली एक याचिका को कोर्ट (Court) ने स्वीकार कर लिया है. अब कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगी, जिसकी तरीखों का ऐलान भी कर दिया गया है. कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के योग्य बताया है.

किसने लगायी थी याचिका?

कोर्ट में यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर की गई थी. वहीं बुधवार 27 नवंबर को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए वादी विष्णु गुप्ता की याचिका पर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामला, कार्यालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.

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दिल्ली के रहने वाले हिंदू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वकील ईश्वर सिंह और रामस्वरूप विश्नोई द्वारा दरगाह कमेटी के कथित अनाधिकृत कब्जा हटाने संबंधी याचिका दायर की थी.

वादी का क्या कहा है?

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता का कहना है कि यहां 1991 पूजा स्थल एक्ट इसलिए लागू नहीं होता, क्योंकि पूर्व में ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के अंदर कभी किसी इंसान को पूजा करने के लिए अंदर जाने ही नहीं दिया. इसीलिए यह एक्ट यहां लागू नहीं हो सकता. वहीं इनके वकील का कहना है कि 38 पेज के दायर वाद में 38 पॉइंट में दिए गए अन्य प्वाइंट्स को ध्यान में रखते हुए. जिसमें प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना जायेगा.

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इस किताब के आधार पर किया गया है दावा

याचिकाकर्ता ने दावा किया गया था कि दरगाह की जमीन पर पहले शिव मंदिर था, वहां पूजा पाठ और जलाभिषेक किया जाता रहा है. इसके अलावा दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने के बारे में भी दावा किया गया है. अजमेर के रहने वाले हरविलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई एक पुस्तक का हवाला भी याचिका में दिया गया है. इसी किताब के आधार पर दरगाह की जगह मंदिर होने के प्रमाण का उल्लेख किया गया. इस पर दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट के बुलंद दरवाजे मंदिर के मलबे का अंश हैं. इसके साथ ही वहां एक गर्भ गृह होने की भी बात की गई है और बताया गया है कि वहां शिवलिंग था, जहां हिंदू ब्राह्मण परिवार पूजा अर्चना करते थे.

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