Fish Medicine 2024: अस्थमा रोगियों के लिए मछली प्रसादम शुरु, जानिए कैसे ठीक करते हैं बीमारी

Fish Prasadam 2024: तेलुगु राज्यों और देश के अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों से अस्थमा के मरीज सांस की समस्याओं से राहत पाने की उम्मीद में हर साल जून में 'मछली प्रसादम' लेने आते हैं. परिवार के मुखिया बथिनी हरिनाथ गौड़ के निधन के बाद यह पहला कार्यक्रम होगा. पिछले साल जून में लंबी बीमारी के बाद 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.

Advertisement
Read Time: 4 mins

Fish Prasadam News: अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों में कारगर साबित होने वाले बथिनी परिवार के लोकप्रिय 'मछली प्रसादम' का वितरण आज (शनिवार) 8 जून से शुरू किया गया. नामपल्ली के प्रदर्शनी मैदान में बथिनी गौड़ परिवार द्वारा आयोजित इस वार्षिक कार्यक्रम का उद्घाटन तेलंगाना के परिवहन मंत्री पोन्नम प्रभाकर और विधानसभा अध्यक्ष गद्दाम प्रसाद कुमार ने किया. तेलंगाना और अन्य राज्यों के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में मरीज मानसून के आगमन की पूर्व सूचना देने वाले 'मृगशिरा कार्ति' के अवसर पर बथिनी परिवार के सदस्यों से 'मछली प्रसादम' लेने आते हैं.

लोगों की लंबी कतारें देखी गईं

बथिनी मृगशिरा ट्रस्ट के अध्यक्ष बथिनी विश्वनाथ गौड़ ने कहा कि 24 घंटे जारी रहने वाले वितरण को लेकर सभी तैयारियां और व्यवस्था पूरी कर ली गई हैं.

बथिनी गौड़ परिवार का दावा है कि वे पिछले 178 सालों से मछली की दवा मुफ्त में बांट रहे हैं. हर्बल दवा का गुप्त फार्मूला 1845 में एक संत ने उनके पूर्वजों को दिया था, जिन्होंने उनसे शपथ ली थी कि यह दवा मुफ्त में दी जाएगी.

ऐसे करते हैं इलाज

परिवार द्वारा तैयार किया गया एक पीले रंग का हर्बल पेस्ट एक जीवित उंगली के आकार की मछली 'मुरेल' के मुंह में रखा जाता है जिसे फिर रोगी के गले में डाला जाता है. ऐसा माना जाता है कि अगर इसे लगातार तीन साल तक लिया जाए तो यह बहुत राहत देता है. शाकाहारी लोगों के लिए यह परिवार उन्हें गुड़ के साथ दवा देता है.

पोन्नम प्रभाकर ने कहा, ''मछली प्रसादम लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है और हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों के अलावा बड़ी संख्या में विदेशों से भी लोग इसे खाने आते हैं.''

उन्होंने कहा कि बथिनी परिवार 150 से अधिक वर्षों से इस कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है. सरकार इसको लेकर सभी व्यवस्थाएं करती है ताकि लोगों को कोई असुविधा न हो. कार्यक्रम में खैरताबाद के विधायक डी नागेंद्र और ग्रेटर हैदराबाद की मेयर विजयलक्ष्मी गडवाल भी मौजूद थीं. हर साल इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विभिन्न सरकारी विभाग इसकी व्यवस्था करते हैं.

Advertisement

देश के विभिन्न हिस्सों से आते हैं मरीज

तेलुगु राज्यों और देश के अन्य राज्यों के विभिन्न हिस्सों से अस्थमा के मरीज सांस की समस्याओं से राहत पाने की उम्मीद में हर साल जून में 'मछली प्रसादम' लेने आते हैं. परिवार के मुखिया बथिनी हरिनाथ गौड़ के निधन के बाद यह पहला कार्यक्रम होगा. पिछले साल जून में लंबी बीमारी के बाद 84 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. वे देश भर के अस्थमा रोगियों को मुफ्त मछली की दवा वितरित करने वाले गौड़ परिवार की चौथी पीढ़ी के अंतिम सदस्य थे.

देश के विभिन्न भागों से अस्थमा रोगी हर साल मछली की दवा लेने के लिए हैदराबाद आते हैं. हालांकि, हर्बल पेस्ट की सामग्री पर विवाद के कारण पिछले 15 वर्षों में दवा की लोकप्रियता कम हो गई है.

स्वास्थ्य को लेकर कोर्ट का किया रुख

लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए काम कर रहे कुछ समूहों ने मछली की दवा को धोखाधड़ी बताया है. उन्होंने इसको लेकर कोर्ट का रुख भी किया. विरोध जताने वालों ने दावा किया कि हर्बल पेस्ट में भारी धातुएं हैं,जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती हैं. वहीं इस पर गौड़ परिवार का दावा है कि अदालत के आदेश के अनुसार प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों से पता चला है कि हर्बल पेस्ट सुरक्षित है. तर्कवादियों द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद, गौड़ परिवार ने इसे 'मछली प्रसादम' कहना शुरू कर दिया.

Advertisement

यह भी पढ़ें : टैटू के शौकीन हो जाएं सावधान... एक्सपर्ट्स ने कहा- इससे है हेपेटाइटिस, HIV और कैंसर का खतरा

यह भी पढ़ें : Madhya Pradesh Liquor scam: लोकायुक्त की जांच शुरु, पूछा- कौन हैं शर्मा जी, बांगड़े साहब, पाण्डेय बाबू?

Advertisement

यह भी पढ़ें : Ramoji Rao Passes Away: इस बाहुबली ने भारत रत्न मांगा, PM मोदी से मेगास्टार रजनीकांत तक ने जताया शाेक

Topics mentioned in this article