नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग वाली 230 से अधिक याचिकाओं पर मंगलवार, 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले में आज सुनवाई करेगी. साल 2019 में सीएए प्रावधान पारित होने के बाद से इस मामले में शीर्ष अदालत में लगभग 230 याचिकाएं दायर की गई हैं.
IUML ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
केरल स्थित राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ( IUML ) ने नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. एएनआई के मुताबिक, IUML ने मांग की है कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए, जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं.
ANI के मुताबिक, IUML ने मांग की है कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने भी खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
वहीं लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी सीएए के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
अपनी याचिका में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि लंबित अवधि के दौरान नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6B के तहत नागरिकता का दर्जा देने की मांग करने वाले किसी भी आवेदन पर सरकार द्वारा विचार या कार्रवाई नहीं की जा सकती है.
ओवैसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील निजाम पाशा ने कहा कि उन्होंने 2019 में एक आवेदन दायर किया था जब अधिनियम संसद में पारित हुआ था.
याचिकाकर्ता के पास नागरिकता देने पर सवाल उठाने का नहीं है कोई अधिकार
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं की स्थिति पर संदेह जताते हुए कहा कि किसी भी याचिकाकर्ता के पास नागरिकता देने पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि सीएए के खिलाफ 237 याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें चार अंतरिम आवेदन हैं, जिनमें नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है.
31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए इन शरणार्थियों को मिलेगा CAA का फायदा
गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया था. ये कानून अफगानिस्तान (Afghanistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और पाकिस्तान (Pakistan) के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए इन देशों के वैध पासपोर्ट या भारतीय वीजा के बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए हैं.
इनर लाइन परमिट की वजह से इन राज्यों में नहीं लागू होगा सीएए
नागरिकता संशोधन विधेयक दिसंबर 2019 में संसद में पारित किया गया था. दरअसल, लोकसभा ने 9 दिसंबर को ये विधेयक पारित किया, जबकि राज्यसभा ने 11 दिसंबर को इसे पारित किया था. वहीं अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता पर संशोधन छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र पर लागू नहीं होंगे. इसके अलावा बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 के तहत जिन राज्यों में 'इनर लाइन परमिट' (Inner Line Permit) व्यवस्था लागू है, वहां भी सीएए लागू नहीं होगा. बता दें कि 'इनर लाइन परमिट' की व्यवस्था अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड में लागू है.
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