AIDS treatment: आखिरकार लाइलाज बीमारी AIDS का वैज्ञानिकों ने इलाज ढूंढ लिया है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में जहां दुनिया में सबसे ज्यादा HIV पीड़ित मरीज पाए जाते हैं वहां वैज्ञानिकों ने एक इजेंक्शन के ट्रायल में सफलता हासिल की है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस इंजेक्शन (HIV Injection) को साल में दो बार लगाने पर इस जानलेवा बीमारी से निजात मिल सकती है. इस इंजेक्शन का नाम लेनकापाविर है. ये जानकारी साउथ अफ्रीका की वैज्ञानिक लिंडा गेल बेकर (Linda Gail Baker) ने शेयर की है. लिंडा इंटरनेशनल एड्स सोसायटी की पूर्व अध्यक्ष हैं. लिंडा गेल के मुताबिक इस दवा का ट्रायल का एक फेज 21 जून के आसपास पूरा हो गया है. हालांकि इसके फाइनल नतीजे आने में अभी वक्त लगेगा.
5 हजार लोगों पर ट्रायल
लेनकापाविर और दो अन्य दवाइयों का ट्रायल युगांडा में 3 और दक्षिण अफ्रीका में 25 जगहों पर 5 हजार लोगों पर किया गया है. इस इंजेक्शन के ट्रायल में पता चला कि इसे लगवाने वालेी 2,134 महिलाओं को एचआईवी का संक्रमण नहीं हुआ. इसके साथ ही ट्रायल को सभी 5 हजार प्रतिभागियों पर सफल पाया गया है. जिससे पता चलता है कि लेनकापाविर इंजेक्शन 100 परसेंट असरदार है. ट्रायल में यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या ‘लेनकापाविर' (Lenacapavir) का छह-छह महीने पर इंजेक्शन और इसके अलावा रोज ली जाने वाली दो अन्य दवाओं की तुलना में एचआईवी संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा देगी या नहीं. ये तीनों दवाएं रोग निरोधक दवाएं हैं. अब वैज्ञानिक इस दवा को उम्मीद की किरण के तौर पर देख रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि कोई पुरुष या फिर महिला साल में दो बार ये इंजेक्शन ले तो उसके HIV से बचने की संभावना काफी अधिक होगी.
कैसे काम करता है लेनकापाविर?
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये इजेंक्शन HIV कैप्सिड में जाकर वायरस से बचाता है. अब आप पूछेंगे कि कैप्सिड क्या होता है? इसका जवाब ये है कि कैप्सिड एक प्रोटीन शेल है जो HIV से हमारे एंडाइमों को सुरक्षा प्रदान करता है. लेनकापाविर को हर 6 महीने में स्किन पर लगाया जा सकता है. अफ्रीका में इसका ट्रायल इसलिए किया गया क्योंकि पूरी दुनिया में HIV संक्रमण के मामले यहीं पर सबसे ज्यादा हैं.
क्या है HIV?
HIV का पूरा नाम है- Human Immunodeficiency Virus. इस बीमारी की चपेट में आने से इंसान की रोक प्रतिरोधक क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है. ये न सिर्फ हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है बल्कि उसे एक वक्त के बाद पूरी तरह से खत्म कर देता है. जिसकी वजह से कोई भी शख्स बार-बार बीमार पड़ने लगता है और अंत में उसकी मौत हो जाती है. एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में बीते साल 13 लाख से अधिक लोग HIV संक्रमित हुए थे. संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य है कि साल 2025 तक ये आंकड़ा 5 लाख से कम हो.
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