AI New Feature: डायबिटीज की जांच अब एआई से संभव, इलाज हो जाएगा आसान, जानें - क्या है नई तकनीक

AI for Diabetes: मधुमेह से परेशान लोगों के लिए बड़ी खबर सामने आई है. अब इसकी जांच में एआई बहुत कारगर साबित होने वाली है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.Sydney University

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Diabetes की जांच के लिए ऑस्ट्रेलिया में तैयार हुआ खास AI

Diabetes latest News: डायबिटीज की बीमारी आज के समय में बहुत तेजी से फैल रही है. लाइफस्टाइल और दिनचर्या के कारण लोगों को मधुमेह (Diabetes) की बीमारी हो रही है. ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने एक नया उपकरण बनाया है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से यह पता लगाएगा कि भविष्य में उस व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज होने का कितना खतरा है. वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी (Sydney University) के शोधकर्ताओं ने इस उपकरण को बनाया है. यह उपकरण न सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज होने के खतरे का आकलन करता है, बल्कि यह भी बता सकता है कि बीमारी के इलाज पर व्यक्ति का शरीर किस तरह प्रतिक्रिया करेगा.

क्या है एआई से डायबिटीज जांचने वाला उपकरण?

यह उपकरण 'डायनेमिक रिस्क स्कोर' (DRC4C) का इस्तेमाल करता है, जो यह बताता है कि किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज है या नहीं. यह उपकरण माइक्रोआरएनए पर आधारित है. इसमें रक्त से मापे गए बहुत छोटे-छोटे आरएनए के टुकड़े होते हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज के खतरे को पकड़ने में मदद करते हैं.

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डायबिटीज को जानना जरूरी

यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन और ट्रांसलेशनल हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आनंद हार्डिकर ने कहा, "टाइप 1 डायबिटीज का खतरा पहले से जानना बहुत जरूरी है. क्योंकि अब ऐसी दवाइयां उपलब्ध हो गई हैं जो बीमारी के बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती हैं. खासकर बच्चों में, जो 10 साल की उम्र से पहले इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं, यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है और लोगों के जीवन जीने की उम्र को करीब 16 साल तक कम कर सकती है. इसलिए, बीमारी का सही समय पर पता लगाना डॉक्टर के लिए अहम है."

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इतना था स्पेशल जांच का सैंपल साइज

नेचर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अपने लेख में, अनुसंधान ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, हांगकांग, न्यूजीलैंड, और अमेरिका जैसे देशों के लगभग 5,983 लोगों के नमूने का विश्लेषण किया. इसके बाद शोधकर्ताओं ने इसे 662 और लोगों पर टेस्ट किया, ताकि यह पता चले कि यह स्कोर सही काम कर रहा है या नहीं. इलाज शुरू करने के सिर्फ एक घंटे बाद, स्कोर ने बताया कि टाइप 1 डायबिटीज वाले कौन लोग इंसुलिन के बिना ठीक हो पाएंगे.

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यह सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज का खतरा और दवाइयों का असर जानने तक ही सीमित नहीं है. विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन और ट्रांसलेशनल हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मुग्धा जोगलेकर ने दो तरह के खतरे जेनेटिक रिस्क मार्कर और डायनेमिक रिस्क मार्कर के संकेतों के बीच फर्क बताया. जेनेटिक रिस्क मार्कर मतलब जीन से मिलने वाले संकेत. वहीं डायनेमिक रिस्क मार्कर का मतलब ऐसे संकेत हैं जो समय के साथ बदलते रहते हैं. डॉ. जोगलेकर ने कहा, "जेनेटिक टेस्टिंग सिर्फ एक पुरानी या स्थिर जानकारी देती है, जबकि डायनेमिक रिस्क मार्कर बीमारी के खतरे को समय-समय पर बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं."

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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