Son of Sardaar 2 Review: हंसी, प्यार और पंजाबी तड़का; जस्सी-राबिया की कहानी, जानें सन ऑफ सरदार 2 कैसी है

Son of Sardaar 2 Review: डायलॉग्स दमदार और देसी स्वैग से भरपूर हैं. इसमें कई पैसा वसूल पल हैं, जो आपको हंसने पर मजबूर कर देंगे और आपके पसंदीदा किरदारों के लिए तालियां बजाने पर मजबूर कर देंगे. यह सिर्फ एक कॉमेडी नहीं, यह एक धड़कते दिल यानी भावनाओं से भरपूर फिल्म है और यही इसकी असली खूबी है और जब आपको लगता है कि आपने सब कुछ देख लिया है, तभी क्लाइमेक्स एक बड़ा सरप्राइज लेकर आता है.

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Son of Sardaar 2 Movie Review: हंसी, प्यार और पंजाबी स्वैग का रोलरकोस्टर है सन ऑफ सरदार 2

Son of Sardaar 2 Movie Review: सन ऑफ सरदार 2 का ट्रेलर को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा था था कि यह फिल्म एक्शन, हास्य और पंजाबी अंदाज से भरपूर, और मनोरंजक होगी. यही बात फिल्म में भी दिख रही है. सीक्वल के बादशाह 'सन ऑफ सरदार 2' के साथ वापस आ गए हैं, और इस बार, वह ज्यादा प्यार, कॉमेडी, और ढेरों स्वैग लेकर आए हैं. 'सन ऑफ सरदार 2' अजय देवगन की एक पूरी तरह से पारिवारिक-मनोरंजक फिल्म है, जो भावना, कॉमेडी, ड्रामा, और बेबाक पंजाबी स्वैग के साथ हर मोर्चे पर खरी उतरती है. विजय कुमार अरोड़ा के निर्देशन में बनी यह फिल्म कमर्शियल बॉलीवुड फिल्म से ज्यादा होने का वादा करती है. पारिवारिक मूल्यों पर आधारित, साफ-सुथरी कॉमेडी, शानदार सीन्स और जबरदस्त कहानी से भरपूर, यह फिल्म पूरे परिवार के लिए एक साथ आनंद लेने के लिए खास तौर पर बनाई गई है.

रेटिंग : 4 स्टार्स

समय : 147.32 मिनट

निर्देशक:

विजय कुमार अरोड़ा, कलाकार: अजय देवगन, रवि किशन, मृणाल ठाकुर, दीपक डोबरियाल, कुब्रा सैत, चंकी पांडे, शरत सक्सेना, मुकुल देव, विंदू दारा सिंह, रोशनी वालिया, संजय मिश्रा, अश्विनी कालसेकर, साहिल मेहता, डॉली अहलूवालिया और नीरू बाजवा.

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जस्सी-राबिया की कहानी

अजय देवगन 'जसविंदर जस्सी सिंह रंधावा' के रूप में वापसी कर रहे हैं, और वह पहले से कहीं ज्यादा शानदार लगते हैं. इस बार, जस्सी अपनी पत्नी डिंपल (नीरू बाजवा) से दोबारा मिलने की बड़ी उम्मीदों के साथ लंदन जाते हैं. लेकिन उनका सपना तब चकनाचूर हो जाता है जब डिंपल बताती है कि वह किसी और से प्यार करती है और उनसे तलाक चाहती है. विदेशी धरती पर बेघर और टूटे दिल वाले जस्सी की जिंदगी में तब एक अजीब मोड़ आता है जब उनकी मुलाकात राबिया (मृणाल ठाकुर) से होती है. वह एक पाकिस्तानी व्यवसायी भी है और एक वेडिंग डांस कंपनी चलाती है. विनम्रता से शुरू हुआ यह रिश्ता जल्द ही मजेदार रोमांच में बदल जाता है.

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राबिया के सहकर्मी दानिश (चंकी पांडे) अपने ही फैमिली ड्रामा से जूझ रहे हैं; उनकी बेटी सबा (रोशनी वालिया) पारंपरिक और दबंग राजा संधू (रवि किशन) के बेटे गोगी (साहिल मेहता) के प्यार में पड़ गई है, जो एक मजबूत सांस्कृतिक जड़ों वाली भारतीय दुल्हन की चाहत रखता है. राबिया और उसका पूरा क्रू पाकिस्तानी है, और ऐसे में उन्हें एक ही उपाय सूझता है! जस्सी को सबा के भारतीय पिता होने का दिखावा करना होगा—जो एक संस्कारी मूल्यों वाले पूर्व सैनिक हैं—वो भी इसलिए ताकि वो रूढ़िवादी संधू परिवार का दिल जीत सकें, और यहीं से शुरू होता है पागलपन.

अजय देवगन की बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग एक बार फिर सबका दिल जीत लेती है. चाहे वह झूठ का सहारा ले रहे हों, अफरा-तफरी में भी खुद को बचा रहे हों या कोई देसी अंदाज दिखा रहे हों, वह हर फ्रेम में छा जाते हैं. उनकी एक्टिंग फिल्म को बांधे रखती है और वह गर्मजोशी, ह्यूमर, और एनर्जी लेकर आते हैं, जिसे नापसंद करना नामुमकिन है. मृणाल ठाकुर अपनी पहली बड़ी कमर्शियल फिल्म में आकर्षण और शालीनता लेकर आती हैं. वह आत्मविश्वास से भरी सहज हैं और देवगन के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की है.

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सबसे बड़ा सरप्राइज दीपक डोबरियाल के रूप में आता है, जो एक ट्रांसजेंडर किरदार गुल का किरदार निभा रहे हैं. वह इस भूमिका में कॉमेडी और प्यार दोनों का तड़का लगाते हैं और एक ऐसा संवेदनशील और मजेदार अभिनय पेश करते हैं जो बिना किसी व्यंग्य के भी स्तरीय और यादगार है. बेजोड़ बिहारी आकर्षण वाले रवि किशन सरदार वाले अंदाज के साथ लाजवाब लगते हैं. उनके डायलॉग, हाव-भाव और कॉमेडी टाइमिंग उन्हें हर बार पर्दे पर दर्शकों का दिल जीतने वाला बना देती है.

सहयोगी कलाकार बिल्कुल परफेक्ट हैं. चाहे वो भरोसेमंद एक्टर संजय मिश्रा हों या चमक दमक वाली नीरू बाजवा हों, एनर्जेटिक चंकी पांडे हों या फिर बोल्ड कुब्रा सैत, प्यारे विंदू दारा सिंह, तेज तर्रार अश्विनी कालसेकर, होनहार रोशनी वालिया और दिवंगत मुकुल देव हों, सभी ने फिल्म में चार चांद लगा दिए हैं और अपना पूरा दमखम दिखाया है.

डायरेक्शन

निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा हर किरदार को उसका पूरा समय देने और एक ऐसी कहानी गढ़ने के लिए विशेष प्रशंसा के पात्र हैं, जो बेहतरीन तरीके से सुसंगत और अव्यवस्थित दोनों है.

विजुअली फिल्म में एक बड़ा सुधार हुआ है. स्कॉटलैंड और लंदन के मनमोहक सीन्स पर आधारित सिनेमैटोग्राफी समृद्ध है. फिल्म पंजाब के सार को भी खूबसूरती से दिखाती है—इसके रंग, भावना और संस्कृति हर फ्रेम में जीवंत हो उठते हैं.

संगीत एक बड़ी उपलब्धि है. 'पहला तू दूजा तू,' 'नजर बट्टू,' और 'नचदी' जैसे गाने न केवल आकर्षक हैं, बल्कि कहानी को आगे भी बढ़ाते हैं. इन्हें खूबसूरती से फिल्माया गया है और भावनाओं से भरपूर हैं, जो क्रेडिट रोल होने के बाद भी लंबे समय तक याद रहते हैं.

डायलॉग्स दमदार और देसी स्वैग से भरपूर हैं. इसमें कई पैसा वसूल पल हैं, जो आपको हंसने पर मजबूर कर देंगे और आपके पसंदीदा किरदारों के लिए तालियां बजाने पर मजबूर कर देंगे. यह सिर्फ एक कॉमेडी नहीं, यह एक धड़कते दिल यानी भावनाओं से भरपूर फिल्म है और यही इसकी असली खूबी है और जब आपको लगता है कि आपने सब कुछ देख लिया है, तभी क्लाइमेक्स एक बड़ा सरप्राइज लेकर आता है, जिसे अजय देवगन ने साफ तौर पर अंत के लिए बचाकर रखा था. यह इस भावनाओं और कॉमेडी से भरपूर रोलरकोस्टर को खत्म करने के लिए एकदम सही तरीका है, जो प्रशंसकों के चेहरे पर मुस्कान और शायद हैप्पी टीयर्स (हर्ष अश्रु) भी छोड़ जाता है.

देवगन फिल्म्स और जियो स्टूडियोज निर्मित 'सन ऑफ सरदार 2' एक बॉलीवुड पारिवारिक मनोरंजन फिल्म है जिसमें वह सब कुछ है जो होना चाहिए; यह मजेदार, भावनात्मक, रंगीन और मूल्यों पर आधारित है. शानदार एक्टिंग, यादगार को-एक्टर्स, आकर्षक संगीत और शानदार सीन्स के साथ यह शुरू से अंत तक एक आनंददायक सफर है. चाहे आप परिवार के साथ देख रहे हों या दोस्तों के साथ, यह देखने लायक फिल्म है.

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