M.P News: पूर्व मिस वर्ल्ड टूरिज्म इशिका तनेजा ने ली गुरु दीक्षा, अध्यात्म की तरफ बढ़ाया कदम

M.P News: भगवा वस्त्र धारण कर दीक्षा लेने आईं इशिका ने कहा कि अब तक उनके जीवन में नाम और प्रसिद्धि तो थी, लेकिन आत्मिक शांति नही थी.

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M.P News:  गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर है. इसी परंपरा को निभाते हुए पूर्व मिस वर्ल्ड टूरिज्म इशिका तनेजा (Ishika Taneja) ने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की. दिल्ली से जबलपुर पहुंचीं इशिका ने द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती से गुरु दीक्षा ली है.

ज्ञान के प्रकाश की तरफ इशिका का सफर

भगवा वस्त्र धारण कर दीक्षा लेने आईं इशिका ने कहा कि अब तक उनके जीवन में नाम और प्रसिद्धि तो थी, लेकिन आत्मिक शांति नही थी. उन्होंने कहा, “मैंने अपने लिए बहुत कुछ किया. रिकॉर्ड बनाए, पुरस्कार जीते, लेकिन जीवन में संतुष्टि की कमी महसूस हुई. इसी कारण मैंने अध्यात्म की राह चुनने का निर्णय लिया. धर्म और सेवा से जो आनंद मिलता है, वो किसी अन्य उपलब्धि से कही अधिक है”.

गुरु मंत्र देकर शिष्य बनाया

शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने इशिका की दीक्षा से पहले उनके साथ शास्त्रार्थ किया और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया. इसके बाद उन्हें गुरु मंत्र देकर शिष्य बनाया. शंकराचार्य ने गुरु-शिष्य परंपरा को मानव जीवन के लिए जरुरी बताया और कहा कि गुरु ही जीवन को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है.

युवाओं को दिया संदेश

लाइमलाइट की दुनिया से अध्यात्म की ओर रुख करने पर इशिका ने आज के युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. उन्होंने कहा, “आज का युवा केवल सोशल मीडिया पर रील और लाइक के पीछे भाग रहा है. हमें अपने जीवन को समाज के कल्याण के लिए समर्पित करना चाहिए. धर्म और सेवा के कार्यों में जो पहचान मिलती है, वह स्थायी होती है”.

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हिंदुत्व पर विचार

इशिका तनेजा ने हिंदुत्व पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, “संविधान की कुछ खामियों के कारण हिंदुत्व को लंबे समय से निशाना बनाया जा रहा है. हमें जागरूक होना होगा और मंदिरों से मिलने वाले दान का सही उपयोग करना होगा. गुरुकुलों, गौशालाओं और गरीबों की मदद के लिए इन संसाधनों का इस्तेमाल होना चाहिए”.

अध्यात्म की प्रेरणा

इशिका तनेजा का यह कदम उनके जीवन का नया अध्याय है. उनका मानना है कि गुरु के बिना न भगवान की प्राप्ति संभव है और न ही जीवन में शांति. उनके इस फैसले ने यह संदेश दिया है कि जीवन में स्थायी सुख और संतुष्टि के लिए आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करना आवश्यक है.

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