छत्तीसगढ़ की पुष्पा से मिलिए... समाज की परवाह किए बिना बनीं नारी शक्ति की मिसाल

Women's Day : पुष्पा अपनी दुकान में खुद मशीनों की मरम्मत करती हैं. गांव के लोग पंखे, कूलर, मोटर पंप और मिक्सी ठीक कराने के लिए उनके पास आते हैं. पुष्पा हर काम को बखूबी करती हैं.

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छत्तीसगढ़ की पुष्पा से मिलिए... समाज की परवाह किए बिना बनीं नारी शक्ति की मिसाल

Women's Day Special : जिंदगी में मुश्किलें आएं तो उसे हिम्मत से कैसे जीता जाए? ये मिसाल पेश कर रही हैं सरोना गांव की पुष्पा साहू. 45 साल के पुष्पा ने पति के निधन के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली. सरोना गांव की रहने वाली पुष्पा साहू के पति मोटर वाइंडिंग का काम करते थे. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. साल 2008 में पुष्पा ने पति के साथ मिलकर काम में हाथ बटाना शुरू किया. काम सीखने के बाद वह मोटर पंप, पंखा, कूलर और मिक्सी जैसी मशीनों की मरम्मत करने लगीं.

पति के निधन के बाद बनी परिवार का सहारा

पांच साल पहले पति का निधन हो गया. परिवार में दो बच्चे थे और घर की पूरी जिम्मेदारी पुष्पा के कंधों पर आ गई. समाज और परिवार के ताने सुनने के बजाय पुष्पा ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने पति के सिखाए काम को ही अपना सहारा बनाया.

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दुकान में खुद करती हैं मशीनों की मरम्मत

पुष्पा अपनी दुकान में खुद मशीनों की मरम्मत करती हैं. गांव के लोग पंखे, कूलर, मोटर पंप और मिक्सी ठीक कराने के लिए उनके पास आते हैं. पुष्पा हर काम को बखूबी करती हैं. अब पुष्पा का बेटा भी मां के काम में हाथ बटाने लगा है. दोनों मिलकर दुकान चला रहे हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई है.

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पुष्पा कहती हैं

समाज क्या कहेगा, इसकी परवाह नहीं. परिवार का साथ देना और जिम्मेदारी निभाना जरूरी है.

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