अजब-गजब मान्यता ! रंग-गुलाल से खेलेंगे होली मगर नहीं मनाएंगे होलिका दहन | Holi 2024

Holi Festivals of Colours: देश भर मे होली को लेकर अपने-अपने रिवाज और परंपराएं हैं. होली के रोचक और अजीबो-गरीब मान्यताओं मे छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घोड़ारी और मुढ़ेना ग्राम भी शामिल हैं. इन दोनों गांवों मे पिछले 200 सालों से होलिका दहन नहीं किया जाता है.

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Holi 2024: देश भर मे होली को लेकर अपने-अपने रिवाज और परंपराएं हैं. होली के रोचक और अजीबो-गरीब मान्यताओं मे छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के घोड़ारी और मुढ़ेना ग्राम भी शामिल हैं. इन दोनों गांवों मे पिछले 200 सालों से होलिका दहन नहीं किया जाता है. यहां पर मान्यता है कि होलिका दहन से महामारी का प्रकोप फैलता है. दिलचस्प है कि इन गांवों मे रंग गुलाल के साथ होली तो खेली जाती है लेकिन पुरानी मान्यता के चलते होलिका दहन नहीं किया जाता है.

जानिए मान्यता

दोनों गांवों में रंग-गुलाल और होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता. दोनों गांवों की आबादी करीब 7000 होगी. ग्रामीणों का कहना है कि उनके दादा-परदादा के जमाने से लगभग 200 साल से गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है. होली त्योहार में अबीर गुलाल से सूखी और रंगो से गीली होली खेली जाती है. नगाड़े बजाए जाते हैं लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता. लोगों का मानना है कि कई साल पहले यहां महामारी फैली थी जिसके बाद से उस समय लोगों ने होलिका जलाना बंद करने का फैसला लिया. उसके बाद यहां कभी महामारी नहीं फैली. इस परंपरा को लेकर आज भी ग्रामीण चल रहे हैं. इसी लिए यहां के लोग होलिका दहन नहीं करते. गांव की इस परंपरा की चर्चा हर साल होली में जरूर होती है.

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इस जगह पर 5 दिन पहले ही मना लेते हैं होली

तो वहीं, दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में एक गांव ऐसा है, जहां होली (Holi 2024) 5 दिन पहले ही मना ली गई है. यहां के लोगों ने बुधवार के दिन ही होली खेल (Holi Celebrate) ली है. इस गांव का नाम है अमरपुर. इस गांव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि पूर्वजों के समय से ही गांव में होलिका दहन और होली 5 दिन पहले ही खेल ली जाती है. ग्रामीण बताते हैं कि पहले जब भी होली के दिन त्योहार मनाते थे. तब गांव में कोई अप्रिय घटना घट जाती थी. जिस कारण अब होली के त्योहार से 5 दिन पहले ही यहां होली मनाई जाती है.

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