Anukampa Niyukti: शहीद ASP आकाश राव गिरपुंजे की पत्नी को मिली अनुकम्पा नियुक्ति, DSP बनीं स्नेहा

Anukampa Niyukti: नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोन्टा डिवीजन में तैनात शहीद एएसपी आकाश राव गिरेपुंजें कोन्टा-गोलापल्ली मार्ग पर एक नए कैंप की स्थापना करके लौट रहे थे तभी उनका पैर नक्सल द्वारा बिछाए गए आईईडी विस्फोटक पर आ गया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे.

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Anukampa Niyukti: नक्सलियों द्वारा सुकमा जिले में लगाए गए IED की चपेट में आकर शहीद हुए एएसपी आकाश राव गिरपुन्जे की पत्नी स्नेहा गिरपुन्जे को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा डीएसपी (डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है. यह नियुक्ति छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैबिनेट के विशेष निर्णय के तहत दी गई है, जिसमें शहीद के परिवार को सरकारी सेवा में सहारा देने की पहल की गई है. पिछले दिनों विष्णुदेव साय कैबिनेट ने विशेष प्रकरण मानते हुए डीएसपी पद पर अनुकम्पा नियुक्ति देने का फैसला लिया था.

कैसे हुई थी शहादत?

अतिरिक्त एसपी आकाश राव गिरेपुंजे क्षेत्र में पैदल गश्त ड्यूटी पर थे. वो किसी भी तरह भाकपा (माओवादी) द्वारा 10 जून को बुलाए भारत बंद के आह्वान के मद्देनज़र नक्सली घटना को रोकना चाहते थे और नक्सलियों के बिछाए प्रेशर IED विस्फोट के शिकार हो गए थे. छत्तीसगढ़ में साल 2009 के बाद पहली बार कोई बड़ा अधिकारी शहीद हुआ था. मई 2009 में राजनंद के मदनवाड़ा में नक्सलियों ने पुलिस टीम पर हमला किया था. इसमें तत्कालीन एसपी विनोद चौबे शहीद हो गए थे और साल 2025 में सुकमा में हुए आईईडी विस्फोट में एएसपी आकाश राव गिरीपुंजे के शहीद होने की खबर आयी थी.

अनुकंपा नियुक्ति में ये शर्तें हैं

  • परिवीक्षाधीन अधिकारी को तय प्रशिक्षण लेना और परीक्षा पास करना जरूरी होगा.
  • असफल होने पर दोबारा परीक्षा देनी होगी, बार-बार फेल होने पर सेवा समाप्त की जा सकती है.
  • चिकित्सा प्रमाण पत्र और चरित्र सत्यापन अनिवार्य हैं. गलत पाए जाने पर सेवा रद्द कर कार्रवाई की जा सकती है.
  • अंशदान पेंशन सहित अन्य सेवा नियम लागू होंगे.
  • कार्यभार से पहले बॉन्ड भरना होगा. प्रशिक्षण पूरा नहीं होता, तो खर्च की गई राशि लौटानी होगी.

पत्नी ने पुलिस विभाग ही क्यों चुना?

स्नेहा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "मुझे दूसरे विभाग में भी अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती थी. लेकिन मैंने पुलिस विभाग ही चुना. साहेब के बाद पुलिस विभाग ही ऐसा है, जिसे मैं करीब से समझती हूं. जानती हूं, पुलिस की नौकरी आसान नहीं. लेकिन साहब मुझे कभी कमजोर नहीं देख सकते थे. सारी चुनौतियां स्वीकार हैं. वर्दी हमेशा साहेब को मेरे करीब रखेगी."

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