Chhattisgarh: वोटिंग की अपील के बीच यहां के ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान, जानें क्या है उनका दर्द

Election Boycott: छत्तीसगढ़ के एक गांव में ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया. उन्हें आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है.

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राजस्व अधिकारी को ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

Lok Sabha Elections 2024: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के एमसीबी (MCB) जिले के ग्राम पंचायत घघरा के आश्रित ग्राम पोड़ी के ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को पत्र सौंपते हुए कहा है कि गांव में मूलभूत सुविधाएं (Basic Facilities) न होने के कारण वे आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें गांव में पीने के साफ पानी तक नसीब नहीं हो रहा है. यहां लोग नाला का दूषित पानी पीकर जीवन रक्षा करने के लिए मजबूर है. गंभीर बीमारियों का सही इलाज भी इनके नसीब में नहीं है.

पानी से लेकर स्वास्थ्य सुविधाएं भी खस्ता हाल

इस गांव में इलाज की सुविधा नहीं है. बीमार पड़ने पर स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से ग्रामीणों को जंगली जड़ी बूटी का सेवन करना पड़ता है. या फिर बीमार व्यक्ति को कई किमी दूर खटिया-पालकी की मदद से दूसरे गांव में ले जाकर इलाज कराना पड़ता है. गांव में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी नजर नहीं आता है. ना ही महिला बाल विकास के कर्मचारियों द्वारा कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं का ध्यान रखा जाता है.

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बिजली के दर्शन दुर्लभ

गांव में कभी कभार बिजली आ गई तो ठीक, नहीं तो ज्यादातर दिन लोगों को अंधेरे में ही गुजारा करना पड़ता है. गांव में बिजली के कई खंभे टूट चुके हैं. रात के अंधेरे में कई ग्रामीणों की सर्पदंश से मौत हो चुकी है. डिजिटल जमाने में भी गांव में मोबाइल नेटवर्क तक की सुविधा नहीं है. किसी आवश्यक कार्य व परिजन से जरूरी संपर्क स्थापित करने के लिए सुदूर पहाड़ पर जाकर यहां के लोगों को नेटवर्क ढूंढना पड़ता हैं. ऐसे में अपनी परेशानियों के कारण ही गांव वालों ने चुनाव का विरोध करने का फैसला लिया है.  

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प्राथमिक शाला के अतिरिक्त स्कूल नहीं

गांव में बच्चों की शिक्षा व पढ़ाई के लिए एक मात्र प्राथमिक शाला है जिससे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है. कई वर्षों से जंगली जमीन में घर परिवार के साथ कब्जा होने पर भी वन अधिकार पत्र नहीं मिला है. ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत में फॉर्म भरने से लेकर तहसील कलेक्टर के चक्कर लगा लिए, लेकिन किसी भी ग्रामीण को पट्टा नहीं मिला.

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