Chhattisgarh: गरियाबंद में मिली फूलकर गुब्बारा बनने वाली दुर्लभ मछली, इसकी खासियत जानकर रह जाएंगे दंग

Fish Rare Species: गरियाबंद जिले के नदी में लोगों को एक खास और दुर्लभ प्रजाति की मछली मिली है. ये ऐसी प्रजाति है, जो एक ही हाथ में समा जाती है. आइए इसके बारे में आपको और भी जानकारी देते हैं.

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हाथ में आते ही फूलने लगती है ये मछली

Special Species of Fish in CG: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariaband) जिले के देवभोग इलाके में तेल नदी (Tel RIver) में हाल ही में एक दुर्लभ प्रजाति की पफर फिश (Puffer Fish) मिली है, जिसने इलाके में हड़कंप मचा दिया है. पफर फिश, जिसे आमतौर पर "फूलने वाली मछली" भी कहा जाता है, एक ऐसी मछली है जो खतरे का सामना करते समय अपने शरीर को फुलाकर स्वयं को बचाती है. घटना तब प्रकाश में आई, जब कुछ युवक नदी में नहाने के लिए गए थे़. उन्होंने एक अजीब मछली को तैरते हुए देखा. जैसे ही उन्होंने मछली को छूआ, वह तेजी से फूलने लगी, जिससे युवक भयभीत हो गए और वहां भीड़ जमा हो गई. 

क्या होती है पफर मछली

पफर फिश, जो कई देशों के नदी नालों में पाई जाती है, अपने अद्वितीय गुणों के लिए जानी जाती है. मछली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह मछली बहुत ही कम मात्रा में मिलती है और इसका विषाक्तता इसे बेहद खतरनाक बनाती है. पफर मछली का विष मुख्यतः उसकी त्वचा और अंगों में होता है और यह विष मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, पफर फिश के विष का प्रयोग जापान, चीन, साउथ अफ्रीका, फिलीपींस और मेक्सिको जैसे देशों में कई बार मृत्यु का कारण बन चुका है. यह मछली अपने आपको खतरे से बचाने के लिए अपने शरीर को फूलकर बड़ा कर लेती है, जिससे शिकारियों को डराया जा सके. 

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इस इलाके में मिली पफर मछली

तेल नदी, जो भारत के ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में बहती है, करीब 296 किलोमीटर लंबी है और महानदी की एक उपनदी है. इस नदी का अधिकांश भाग ओडिशा में है और इसका एक हिस्सा दोनों राज्यों की सीमा को निर्धारित करता है. पफर फिश की यह प्रजाति संभवतः इसी नदी में मौजूद है, क्योंकि हाल ही में मिली मछली की उम्र छोटी है, जो यह दर्शाती है कि यह क्षेत्र पफर फिश के लिए अनुकूल हो सकता है.

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स्थानीय प्रशासन और मछली विभाग के अधिकारी अब इस इलाके में पफर फिश के होने की स्थिति और उसके प्रभाव का आकलन करने में जुटे हैं. इस घटना ने स्थानीय समुदाय को सतर्क कर दिया है और मछली से संबंधित सुरक्षा उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

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