Supreme Court Order: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने हत्या के एक मामले (Murder Case) में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किये जाने के कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज करने को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) को कड़ी फटकार लगाई.
न्यायमूर्ति अभय एस ओका (Justice AS Oka) और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां (Justice Ujjal Bhuyan) की पीठ ने कहा कि पुलिस ने उसके दो जनवरी के अंतरिम जमानत आदेश को विफल करने के इरादे से यूएपीए का आरोप जोड़ा है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने आरोपी व्यक्ति को जमानत दे दी.
कोर्ट में जज ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘‘ इस तथ्य पर विचार करते हुए कि यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता को केवल दो जनवरी के आदेश को विफल करने के लिए गिरफ्तार किया गया था, अपीलकर्ता उक्त मामले में जमानत पाने का हकदार है. अपील स्वीकार की जाती है. अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाए. ''
पीठ ने इसे 'घोर अनुचितता' करार देते हुए पुलिस अधिकारी के आचरण की निंदा की तथा अदालती आदेश का उल्लंघन करने के लिए उसे अवमानना की चेतावनी दी.
पुलिस की ओर से वकील ने क्या कहा?
अदालत ने छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘यह पुलिस अधिकारी द्वारा की गई घोर अनियमितता है. हम न्यायालय की आपराधिक अवमानना के लिए कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे. उन्हें इस न्यायालय के आदेशों की जानकारी थी.''
शीर्ष अदालत ने एक समाचार एजेंसी में बतौर 'कंटेट राइटर' कार्यरत मनीष राठौर की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करने के दौरान यह टिप्पणी की. इसमें छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें हत्या के एक मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था.
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