बड़े ऑपरेशन से हिला नक्सल संगठन, पर्चा जारी कर ऑपरेशन रोकने कर दी अपील 

Naxalites Parcha: छ्त्तीसगढ़ और तेलंगाना के बॉर्डर पर चल रही मुठभेड़ के बीच नक्सल संगठन हिल चुका है. नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता की अपील की है. 

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Naxalites Parcha: छ्त्तीसगढ़ और तेलंगाना के बॉर्डर पर चल रही सबसे बड़ी मुठभेड़ के बीच एक बड़ी खबर है. इस सबसे बड़े ऑपरेशन से नक्सल संगठन पूरी तरह हिल चुका है. टॉप लीडर्स के घिरने के बाद नक्सली घबरा गए हैं. दहशत में आए नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता की अपील कर दी है. 

बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ देश का सबसे बड़ा ऑपरेशन जारी है. इस बीच नक्सलियों ने जारी  ऑपरेशन को तत्काल रोकने की अपील है. इसके लिए नक्सलियों की उत्तर पश्चिम बस्तर ब्यूरो के प्रभारी रूपेश ने प्रेस नोट जारी किया है. बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर जारी बड़ा सैन्य अभियान को तुरंत रोकने को कहा है.

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नक्सलियों ने लेटर में क्या लिखा?

नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी कर कहा, सभी लोग चाहते हैं कि समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो. शांति वार्ता के लिए हमारी पार्टी हमेशा तैयार है. हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता को लेकर पत्र जारी किए थे. विश्वास की कमी को दूर करने के लिए हमारे तरफ से लगातार प्रयास जारी हैं, लेकिन सरकार की मंशा अलग दिख रही है. शांति वार्ता के जरिए समस्या हल होने की संभावना रहने के बावजूद सरकार हिंसा के प्रयोग से समस्या के समाधान का प्रयास कर रही है. इसीलिए बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर एक बड़े सैन्य अभियान को लॉन्च किया गया है.

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नक्सलियों ने सरकार से अभियान को रोकने की अपील की है और सुरक्षाबलों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है.

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नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ 'निर्णायक अभियान' छेड़ दिया है. इसका ऐलान सुरक्षा बलों ने खुद ही प्रेस नोट जारी करके किया है. दरअसल, नक्सलियों के खिलाफ बीते चार दिनों से छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र की सीमाएं जहां मिलती हैं, वहां मुठभेड़ जारी है. बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में करीब 10 हजार विशेष कमांडों ने सैकड़ों नक्सलियों को घेर रखा है. कर्रेगट्टा, नाडपल्ली और पुजारी कांकेर के घने जंगलों से घिरे इस इलाके को नक्सल बटालियन नंबर 1 का गढ़ माना जाता है. जानकार बताते हैं कि ये सामान्य घेराबंदी नहीं, यह युद्ध है — वो भी ऐसा जिसमें पीछे हटने का विकल्प नहीं है.

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