ऐसे कैसे बनेगा स्वच्छ भारत? सामुदायिक शौचालयों में लगा है ताला, टॉयलेट बनाने में ही भ्रष्टाचार कर डाला

Swachh Bharat Mission in Chhattisgarh: जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. कई गांव में तो निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं और कहीं पूर्ण हुए हैं तो वहां पर ताला लगा हुआ है. वहीं जिला पंचायत के सीईओ (CEO) टेकचंद अग्रवाल का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय ग्रामीण के लिए बनाया गया है, हम लोग जहां भी जा रहे हैं लोगों को जागरुक कर रहे हैं कि वह इसका उपयोग करें.

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Public Toilets in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा (Bemetara) जिले में स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) के नाम पर बनाए गए करोड़ों रुपए के कई शौचालयों में ताला लगा हुआ है, तो कहीं अधूरा निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है. बेमेतरा जिले में स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) के तहत जिले में 22 करोड़ 51 लाख 50 हजार रुपए की लागत से 567 सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया गया है, जिसमें बेमेतरा ब्लाॅक में 135, साजा में 136, बेरला में 114 और नवागढ़ ब्लाॅक में 182 सार्वजनिक शौचालय शामिल हैं.

शौचालय के साथ दुकान

केंद्र सरकार की ओर से शौचालय निर्माण के लिए दो अलग-अलग नक्शे तैयार किए गए थे. इस डिजाइन के अनुसार से टॉयलेट बनने थे. 4 लाख 40 हजार की लागत से 267 ऐसे पब्लिक टॉयलेट बनने थे जिमसें सामने दुकान हो और पीछे शौचालय का निर्माण. वहीं 3 लाख 50 हजार की लागत से 300 टॉयलेट बिना दुकान वाले थे.

भ्रष्टाचार की चढ़ गए भेंट : जिला पंचायत उपाध्यक्ष

इस मामले पर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष अजय तिवारी ने कहा कि यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. कई गांव में तो निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुए हैं और कहीं पूर्ण हुए हैं तो वहां पर ताला लगा हुआ है. निर्माण कार्य को देखने पर भ्रष्टाचार खुले आम देखा जा सकता है, कहीं पर सेप्टिक टंकी नहीं तो कहीं पर ऊपर पानी टंकी की सुविधा और ना टॉयलेट सीट लगाई गई है. जहां पर निर्माण कार्य पूरे हो चुके हैं, वहां पर ग्राम पंचायत में ताला जड़ दिया है. जिसके चलते इसका उपयोग नहीं हो रहा है और यह खंडहर में तब्दील हो रहा है.

आज भी जागरूकता की है कमी: जिला पंचायत CEO

वहीं इस पूरे मामले पर जिला पंचायत के सीईओ (CEO) टेकचंद अग्रवाल का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय ग्रामीण के लिए बनाया गया है, हम लोग जहां भी जा रहे हैं लोगों को जागरुक कर रहे हैं कि वह इसका उपयोग करें.

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लापरवाही और गोलमाल

बेरला के नागरिक आशीष सोनी ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर करोड़ों रुपए प्रचार प्रसार में खर्च करने के बाद अधिकारी अभी भी जागरूकता की कमी की बात कह रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि ऊपर से नीचे तक इसमें गोलमाल हुआ है. तभी तो हालत यह है कि सार्वजनिक शौचालय के नाम पर करोड़ों रुपए तो निकाल दिए गए, लेकिन निर्माण कार्य आज भी पूर्ण नहीं हो पाया है और इसके लिए अब तक जिम्मेदारी भी तय नहीं की गई है.

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