Naxal News: कभी नक्सली बनकर वर्दीधारियों के बने थे दुश्मन, अब पुलिस में शामिल होकर करेंगे देश की सेवा

Anti Naxal Operations: सरेंडर करने के बाद दो नक्सली पुलिस में बतौर आरक्षक भर्ती हुए. पहले दोनों एमएमसी जोन में सक्रिय थे, अब कबीरधाम में पुलिस की नौकरी कर रहे हैं.

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Naxalites work as police: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कबीरधाम (Kabirdham) जिले में दो पूर्व नक्सलियों (Naxalites) को राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति (Surrender and Rehabilitation Policy) के तहत पुलिस में आरक्षक बनाया गया. सरेंडर नक्सली दिवाकर उर्फ किशन और मंगलू बेको उर्फ तीजू पुलिस आरक्षक बन गए हैं. ये दोनों पहले एमएमसी जोन में बतौर नक्सली सक्रिय थे और इनके ऊपर लाखों रुपये इनाम था. इन्हें कभी समाज के भक्षक कहा जाता था और आज वही समाज के रक्षक बन गए हैं. दोनों की पोस्टिंग कबीरधाम में हुई है. 

पति-पत्नी ने एक साथ किया था सरेंडर

कबीरधाम पुलिस में आरक्षक बने दिवाकर, पति-पत्नी दोनों नक्सली थे. दिवाकर ने अपनी पत्नी कुमारी उर्फ लक्ष्मी देवी के साथ शासन की आत्मसमर्पण नीति से प्रेरित होकर साल 2021 में जिला कबीरधाम में आत्मसमर्पण किया था. दिवाकर समर्पण के पहले नक्सली संगठन भोरमदेव एरिया कमेटी का सचिव था और इनकी पत्नी लक्ष्मी देवे सदस्य थी, जो 2019 से सक्रिय थी. बता दें कि दिवाकर के ऊपर आठ लाख का इनाम घोषित था और कुल 16 अपराध पंजीबद्ध थे. समर्पण के बाद दिवाकर के निशानदेही पर दिनांक 2021 में थाना भोरमदेव क्षेत्र के बकोदा जंगल में नक्सलियों के द्वारा डंप किए हुए नगदी दस लाख रुपये एवं अन्य नक्सल सामग्री बरामद किया गया था.

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यह है मंगलू उर्फ तीजू की कहानी

नक्सली से आरक्षक बने मंगलू बेको उर्फ तीजू अपनी पत्नी राजे उर्फ वनोजा के साथ छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण नीति से प्रेरित होकर दिनांक 2020 में जिला बीजापुर में आत्मसमर्पण किया था. आत्मसमर्पित नक्सली मंगलू बेको उर्फ तीजू एवं उसकी पत्नी राजे येलम उर्फ वनोजा पहले नक्सली संगठन विस्तार प्लाटून नंबर-03 में पार्टी सदस्य के रूप में कार्य करते थे. मंगलू बेको उर्फ तीजू ग्राम केशकुतूर, जिला बीजापुर का रहने वाला है.

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आरक्षक बनने के बाद किया 10वीं पास

कबीरधाम पुलिस ने आत्मसमर्पित नक्सली दिवाकर उर्फ, किशन उर्फ लिबरू कोर्राम एवं मंगलू बेको उर्फ तीजू को लगातार शिक्षा के तरफ प्रेरित कर ओपन परीक्षा 10वीं की परीक्षा दिलाया. इन्हें आवश्यक शिक्षण सामग्री प्रदान की गई, जिसमें दिवाकर उर्फ किशन और उसकी पत्नी 10वीं की परीक्षा पास कर गए. 

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