Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के किडनी (kidney) प्रभावित ग्राम सुपेबेड़ा में पिछले 19 सालों से शुरू हुआ मौत का सिलसिला बदस्तूर जारी है. शुक्रवार की शाम को एक और परिवार का चिराग बुझ गया. किडनी पीड़ित नवीन ने दम तोड़ दिया और मौत का आंकड़ा बढ़कर 141 पहुंच गया. पिछले 7 सालों से नवीन इस रोग से पीड़ित थे. परिजन उनका इलाज करा रहे थे. आयरन युक्त पानी के चलते इस गांव में वर्तमान में लगभग हर घर मे कोई न कोई किडनी की बीमारी से प्रभावित है.
आर्थिक तंगी के चलते तोड़ा नवीन ने दम
मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवार सोनवानी परिवार 2017 से नवीन की बीमारी का इलाज करा रहे थे. दो माह पहले भी AIMS में उन्हें भर्ती किया गया था. लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते और AIMS में मिल रही आधी अधूरी निःशुल्क व्यवस्था के चलते इलाज नहीं करा पाए और उसे बीच में लाना पड़ गया. जिसके बाद 15 दिनों से घर पर ही इलाज चल रहा था. शुक्रवार को तबियत ज्यादा बिगड़ गई और नवीन ने दम तोड़ दिया.
ग्रामीणों की नहीं ली सुध
सुपेबेड़ा में 2005 से शुरू हुई किडनी की बीमारी ने धीरे-धीरे करके पिछले 19 सालों में 141 जिंदगियों को छीन लिया है. लेकिन सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इतने सालों में राज्य में शासन करने वाली बीजेपी और कांग्रेस की सरकार ने विपक्ष में रहते हुए तो इसे मुद्दा बनाए रखा है, लेकिन सत्ता में आते ही किडनी की बीमारी से मौत नहीं होने का दबाव प्रशासन पर बनाते रहे. जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग कई बार इन मौत को सामान्य मौत बताया. जबकि सच तो यह है कि पिछले 19 सालों में किसी भी पार्टी ने सुपेबेड़ा के ग्रामीणों की सुध ही नहीं ली .
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वैकल्पिक व्यवस्था के सहारे जी रहे ग्रामीण
सुपेबेड़ा में पिछले कई सालों से सरकार ग्रामीणों को केवल खोखला आश्वासन ही दे रही है. इतने सालों बाद भी आज तक सुपेबेड़ा के ग्रामीणों पानी की वैकल्पिक व्यवस्था के सहारे जी रहे है. शासन-प्रशासन द्वारा जो भी योजनाएं शुरू की गई है, वह काफी धीमीं गति से चल रही हैं. जिसके चलते स्थानीय ग्रामीणों को आज भी आयरन युक्त पानी पीने को मजबूर हैं और किडनी की बीमारी का सामना करना पड़ रहा है. इधर नवीन सोनवानी की मौत के बाद गरियाबंद जिला स्वास्थ्य अधिकारी गार्गी यदु ने किडनी से पीड़ित होने के कारण मौत होना बताया है.