फर्जी एनकाउंटर के विरोध में बंद रहा सुकमा जिला, सर्व आदिवासी समाज ने बुलाया था बंद

शहर सहित पूरे सुकमा जिले में सुबह से बाजार पूरी तरह से बंद रहे और सड़कों में सन्नााटा पसरा रहा. बंद को सफल करने के लिए आदिवासी समाज के लोग सुबह से लेकर शाम तक सक्रिय रहे.

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बंद को सफल करने के लिए आदिवासी समाज के लोग सुबह से लेकर शाम तक सक्रिय रहे.
सुकमा:

Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कथित फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter) को लेकर सर्व आदिवासी समाज (All Tribal Society) का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई और पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे की मांग करते हुए आदिवासी समाज ने शनिवार को जिला स्तरीय बंद बुलाया था. जिसका व्यापक असर पूरे जिले में देखने को मिला. शहर सहित पूरे जिले में सुबह से बाजार पूरी तरह से बंद रहे और सड़कों में सन्नाटा पसरा रहा. बंद को सफल करने के लिए आदिवासी समाज के लोग सुबह से लेकर शाम तक सक्रिय रहे.

पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का लगाया आरोप

सर्व आदिवासी समाज ने शनिवार को जिले के ताड़मेटला में पुलिस और सुरक्षाबलों द्वारा फर्जी मुठभेड़ में निर्दोष आदिवासियों को गोली मारने का आरोप लगाते हुए शासन और स्थानीय मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सर्व आदिवासी समाज के युवा प्रभाग के जिला अध्यक्ष गणेश माड़वी ने कहा कि गांव में रहने वाले आम ग्रामीण की हत्या कर पुलिस उन्हें इनामी नक्सली बता रही है, जबकि दोनों ग्रामीण शादीशुदा थे और गांव में रहकर व्यापार करते थे. उन्होंने बताया कि दोनों ग्रामीणों के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड और राशन कार्ड भी थे. वे घटना वाले दिन मछली बीज खरीदने जा रहे थे. चिंतलनार में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जंगल में ले जाकर गोली मार दी. पुलिस अगर गलत नहीं है तो मुठभेड़ के बाद ग्रामीणों से मिलने जा रहे समाज के लोगों को क्यों रोका जा रहा है.

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पुलिस और माओवादियों के बीच पिस रहे आदिवासी

आदिवासी समाज के युवा नेता और भाजयुमो (Bharatiya Janata Yuva Morcha) जिला अध्यक्ष संजय सोढ़ी ने कहा कि पुलिस और माओवादियों के बीच भोले भाले आदिवासी पिस रहे हैं. एक तरफ माओवादी लोग पुलिस के मुखबिर होने के शक में आदिवासियों की हत्या कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ नक्सल सहयोगियों के नाम पर पुलिस आदिवासियों को गोली मार रही है. उन्होंने कहा कि अगर नक्सलियों की तरह पुलिस भी आदिवासियों की हत्या करेगी तो हम विश्वास किस पर करेंगे. क्षेत्र के विधायक होने के नाते मंत्री कवासी लखमा को सामने आना चाहिए, केवल बयान जारी कर देने से उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. नक्सल हिंसा की वजह से बस्तर का माहौल खराब हो रहा है. उन्होंने बताया कि आदिवासी समाज आने वाले दिनों में नक्सल हिंसा का भी विरोध करेगा.

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योजनाबद्ध ढंग से आदिवासियों को मारा जा रहा है

आदिवासी समाज के नेता और भाकपा (Communist Party of India) के जिला सचिव रामा सोढ़ी ने कहा कि कांग्रेस सरकार में योजनाबद्ध तरीके से आदिवासियों को मारा जा रहा है. घोषणा पत्र में जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को रिहा करने का वादा किया गया था लेकिन उस दिशा में भूपेश सरकार ने कोई काम नहीं किया. बस्तर में शांति बहाली पर काम करने की जरूरत है. माओवाद समस्या का हल बंदूक से नहीं किया जा सकता, बल्कि समस्या को खत्म करने के लिए बात करना होगा. भूपेश सरकार में आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है. निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रमोशन के लालच में आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारने का काम बंद किया जाना चाहिए. न्याय की दिशा में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को काम करने की जरूरत है.

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